अंजु दुआ जैमिनी
1
कलम जगी
सैर पर निकली
भाव समेटे
कागज़ को चूमती
कविता उग आई।
2
नाचती नदी
झूमते पेड़- पौधे
गाता सागर
आदमी आ धमका
जेबों में भर गया।
3
बीमारी घेरे
अपने भी पराए
स्याह सवेरे
सेहत की दौलत
बचाकर रखना।
4
बेटियाँ आईं
माँ की सालगिरह
ममता भीगी
बचपन की बातें
कोने- कोने से झाँकें।
5
बादल- बाहें
बारिश जो फिसली
मोर मुस्काया
सूरज धुंधलाया
खेत खिलखिलाया।
-0-
19 टिप्पणियां:
बहुत बहुत धन्यवाद आपका मेरी रचनाओं को पत्रिका में स्थान देने के लिए। ह्र्दयतल से आभार
अति सुन्दर👏👏👏
बहुत अच्छे ताँका-बधाई। आपसे एक पृथक ताँका संग्रह की अपेक्षा है-आपमें संभावनाएँ हैं।
शानदार रचना बधाई आपको
धन्यवाद प्रिय
Proud of you 💕Dear Anju
धन्यवाद आपका
आपका त्रिवेणी के मंच पर हार्दिक स्वागत है।
आपकी सुंदर रचनाओं की प्रतिक्षा रहेगी।
शानदार ताँका
बहुत सुंदर प्रिय अंजु
बहुत सुंदर
सुंदर प्रयास है अंजु जी का । हार्दिक बधाई। स्वागत है आपका।सविता अग्रवाल “सवि”
सुंदर ताँका!
~सादर
अनिता ललित
बेहतरीन ताँका...हार्दिक बधाई अंजु जी।
बहुत बढ़िया
अंजू जी का त्रिवेणी परिवार में हार्दिक स्वागत है | अपने सशक्त तांका के माध्यम से आप निसंदेह पाठकों के दिल में जगह बनाएँगी...मेरी बहुत बधाई
सभी का आभार। आपकी शुभकामनाएं मेरे जीने का सम्बल है।
जी बहुत बहुत धन्यवाद
आपकी आज्ञा शिरोधार्य। कार्य प्रगति पथ पर है
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