रश्मि विभा त्रिपाठी
1
खूब रोती हैं
खिलौना टूटते ज्यों
देर तक बच्चियाँ!
मैं भी यों ही थी
वो साथ था, और थीं
ख़्वाबों की किरचियाँ!!
2
गिड़गिड़ाए
उम्मीद के परिंदे
उजड़ने के वक्त!
बेरहमी से
काट दिया उसने
दिल का वो दरख़्त!!
3
कैसे दे पाती
विदाई, खड़ी रही
मैं आँखों को मींचके
तू लेता गया
जाते वक्त ज़िस्म से
मेरी रूह खींचके!
4
समेट पाना
घर का कामकाज
अब कहाँ आसान!
तेरी याद का
ढेर सारा यहाँ पे
बिखरा है सामान।
5
रेत- सी उड़ीं
जिंदगी की उम्मीदें
दिल के अरमान
वो सचमुच
मेरे लिए था एक
तपता रेगिस्तान।
6
उसने जब
मेरे नन्हे ख़्वाबों का
खामख़ाँ गला काटा
तो मिटा चुकी
दिल की फाइल से
मैं भी उसका डाटा।
7
रात का किया
जिसने अपमान
कहकरके काला
तभी उसने
आते- आते सबका
नकाब खींच डाला।
8
साथ देने की
तुम नहीं करना
अभी से कोई बात!
परख लेगी
तुम्हारा सच्चा वादा
आते ही आते रात!!
9
सब सोचते
रात के अँधेरे में
रास्ते नहीं दिखते!
सच ये है कि
अच्छे- अच्छों के तब
पैर नहीं टिकते!!
10
दिनभर तो
दुनियाभर की मैंने
खूब थकान झेली
सिर्फ बैठके
रात के आँगन में
मैं जी भरके खेली।
11
आँखें बरसें
कभी होंठ लरज़ें
दिल ने कभी रोका
लिखे, मिटाए
हिज़्र की घड़ी मैंने
तुमपे ही सेदोका!
-0-
16 टिप्पणियां:
वाह!बहुत सुंदर सृजन।
हार्दिक बधाइयाँ।
सभी बहुत अच्छे हैं ,शायद मन की गहराइयों से अभिव्यक्त किया है ,हार्दिक शुभकामनाएँ ।
बहुत ही सुंदर सरस ,भावपूर्ण सेदोका। हार्दिक बधाई रश्मि जी। सुदर्शन रत्नाकर
त्रिवेणी (आस्ट्रेलिया) में मेरे सेदोका प्रकाशित करने के लिए आदरणीय सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार।
आप आत्मीय जन की टिप्पणी का सादर आभार।
सादर
रश्मि विभा त्रिपाठी
🙏
वेदना की गहन अनुभूतियों से संयुक्त सभी सेदोका भाव जगत को स्पर्श करते हैं।बधाई रश्मि जी।
हार्दिक आभार आदरणीय डा. भीकम सिंह जी का।
मेरे लेखनी को नवऊर्जा देने के लिए
सादर
रश्मि विभा त्रिपाठी
आदरणीय शिव जी श्रीवास्तव जी का हार्दिक आभार।
सादर
रश्मि विभा त्रिपाठी
रश्मी जी ,
हर रचना एक आह भरी कहानी है | खिलौने टूटने वाली रचना एक निशानी है |पढकर हृदय को छू गयी |
श्याम हिन्दी चेतना
आपकी रचना चर्चा मंच ब्लॉग पर रविवार 16 जुलाई 2023 को
'तिनके-तिनके अगर नहीं चुनते तो बना घोंसला नहीं होता (चर्चा अंक 4672)
अंक में शामिल की गई है। चर्चा में सम्मिलित होने के लिए आप भी सादर आमंत्रित हैं, हमारी प्रस्तुति का अवश्य अवलोकन कीजिएगा।
मेरी रचना पर आपकी टिप्पणी का बहुत आभार।
आफकी टिप्पणी मेरी लेखनी में नव ऊर्जा का संचार करती है।
हार्दिक आभार आदरणीय
कविता के बारे में बात करने पर आह की बात आते ही सबसे पहले याद आता है-
वियोगी होगा पहला कवि आह से उपजा होगा गान
निकलकर आँखों से चुपचाप बही होगी कविता अनजान।
सेदोका में क्षणिका सुन्दर सजी है
वाह! बहुत सुंदर सेदोका , एक से बढ़कर एक!
बहुत ख़ूब रश्मि प्रभा !
अपनी क्षणिकाओं में आप बहुत गहरी बात कह जाती हैं.
अपनी रचनाओं में यह सहजता और यह सरलता यूँ ही बनाए रखिएगा.
सभी सेदोका बहुत भावपूर्ण। बधाई रश्मि जी।
निश्चित ही आत्मा की अतल गहराइयों से उमडे हैं मर्मांतक भाव! सभी सेदोका मन को छूने वाले हैं।सधी और हृदयस्पर्शी प्रस्तुति के लिए आभार और बधाई प्रिय रश्मि जी।आपका लेखन यूँ ही चलता रहे यही कामना है 🙏
सुन्दर सृजन की हार्दिक बधाई प्रिय रश्मि जी ।
विभा रश्मि
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