हाइबन - तालाब / विभा रश्मि
छोटे - पठारी भाग से बहकर ,बारिश का जल शहर की निचली जगहों पर एकत्र होना शुरु हो गया । जिसने एक छोटा तालाब निर्मित कर दिया था । उस नव - तलैया में शनैः -शनैः परिन्दों ने डेरा डालना शुरू कर दिया । तालाब के सौंदर्य में चार चाँद लग गए थे ।
तालाब में नीला आसमान झाँकता, वो दिन-रात अपने रंग बदलता, जैसे राजा एक दिन में अनेक रेशमी वस्त्र बदलता। इसका अर्थ प्रकृति का राजसी होना हरगिज़ नहीं । आकाश दानवीर था , वो कर्मवीरों से स्नेह रखता था ...।
जब वो रंग बदलता तो आसपास पठारी भाग में ऊँचाई पर रहने वाले वाशिंदे, प्रकृति की रमणीय दृश्यावली का आनंद लूटते। बारिश के मौसम में खूब बरखा होती । यहाँ का आसमान -काले , स्लेटी मेघों से आच्छादित होकर अपने कई लुभावने रंग दिखाता और आनंद लुटाता ।
किनारे पर बने ईंटिया रंग के, लाल छतवाले दुमंज़िला पुराने मकानों की प्रतिच्छाया, बरसाती तालाब की खूबसूरती बढ़ा देती ।
ये जल पर बने अक्स, अक्सर मछलियों की चपलता से हिल जाते और काँप उठते, चंचला मीन सब मिटा डालतीं ।
मैं तीन दिन से इस मंजर को निरख रही हूँ । बीमारी की वजह से कहीं आ-जा नहीं सकती ।
होटल की विशाल काँच की खिड़की से प्यारे चहकते परिंदों और हहराते समंदर से बतियाने के लिए ,मैं पुनः इस खूबसूरत शहर आऊँगी । "प्रॉमिस...जेन्टलमेंस प्रॉमिस ...।" चलते - चलते षोडशी ने माँ का पश्मीना शॉल कसकर लपेट लिया और अपनी नरम हथेली, अपने ओठों पर स्पर्श कर कई चुंबन आसमान , तालाब और परिंदों की ओर उछाल दिए...।
मंजर आँका
दिल पे वादियों का ,
प्यार लुटाया ।
13 टिप्पणियां:
आ. हिमांशु भाई ,
मेरे हाइबन को आज के" त्रिवेणी" में स्थान प्रदान करने के लिए आपका हृदयतल से आभार ।
विभा रश्मि
प्रकृति की सुंदर छटा बिखेरता भावपूर्ण हाइबन!
~सादर
अनिता ललित
सुंदर।
मनभावन अभिव्यक्ति! बधाई विभा जी।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...हार्दिक बधाई विभा जी।
👍
हाइबन पसंद करने के लिए आभार अनिता जी
टिप्पणी के लिए आभार सुरंगमा जी ।
टिप्पणी के लिए आभार प्रीति जी
दिली आभार कृष्णा जी ।
आभार भीकम सिंह जी ।
प्रकृति का सुंदर चित्रण
सुंदर हाइबन
बधाई आदरणीया
बहुत आभार आपका प्रिय पूर्वा ।
विभा रश्मि
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