रश्मि विभा त्रिपाठी
1
जब तुम बेचैन रहे
मीत सुनो मेरे
भीगे ये नैन रहे।
2
हर रोज़ मनाया है
तुमको छू न सके
दुख की जो छाया है।
3
मेरा मन तरसा है
तेरी आँखों से
बादल जब बरसा है।
4
इक पल न उदास रहो
तुम हर मौसम में
बनके मधुमास रहो।
5
उस पल में मैं जी लूँ
तेरी आँखों के
सारे आँसू पी लूँ।
6
तेरा मन मुरझाता
मैं जब देखूँ तो
मेरा जी भर आता।
7
जितनी खुशियाँ जग में
बस में हो तो मैं
रख दूँ तेरे पग में।
8
तुम दूर अजाबों से
खिलकरके महको
हर रोज गुलाबों से।
9
तुम जो हो मुश्किल में
रह- रहके उठती
फिर एक कसक दिल में।
10
ना तुम बेहाल रहो
मेरी एक दुआ
हर पल खुशहाल रहो।
11
मुसकाओ हर पल में
अपने दुख भर दो
तुम मेरे आँचल में।
12
दिन बीते आहों के
तुमने शूल चुने
सब मेरी राहों के।
13
मुझसे कब दूर रहे
तुम तो हर पल ही
मुझमें भरपूर रहे।
14
ये प्यार बड़ा गहरा
मेरी साँसों पे
तेरा ही है पहरा।
15
तुम मेरा हो साया
ज़र्रे- ज़र्रे में
मैंने तुमको पाया।
16
कैसी अब बेताबी?
सारी खुशियों की
तुम ही तो हो चाबी।
17
पुचकारा, जब रोई
प्यार निभाना तो
तुमसे सीखे कोई।
18
भूली गम सारे मैं
सोचूँ जब- जब भी
मैं तेरे बारे में।
19
राहों में जब रोड़ा
आया तो तुमने
ये हाथ नहीं छोड़ा।
20
बस इतना रब दे दो
उसके सारे गम
तुम मुझको अब दे दो।
13 टिप्पणियां:
बहुत सुंदर माहिया, हार्दिक शुभकामनाऍं रश्मि जी।
बहुत सुंदर मनमोहक माहिया। हार्दिक बधाई रश्मि विभा जी। सुदर्शन रत्नाकर
मेरे माहिया प्रकाशित करने हेतु आदरणीय सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार।
आदरणीया रत्नाकर दीदी और आदरणीय भीकम सिंह जी का हार्दिक आभार।
सादर
सभी माहिया एक से एक सुंदर हैं हार्दिक बधाई रश्मि जी। सविता अग्रवाल “सवि”
एक से बढ़कर एक माहिया। अगले अंक की भी प्रतीक्षा रहेगी।
बेहद सुन्दर माहिया।हार्दिक बधाई।
बहुत भावपूर्ण माहिया रचना| हार्दिक बधाई आपको
वाह
अतिसुन्दर, भावमय करते माहिया!
~सादर
अनिता ललित
आप सभी आत्मीयजनों की टिप्पणी का हार्दिक आभार।
सादर
प्रेम पगे बहुत सुंदर माहिया। बधाई विभा जी
बहुत सुंदर माहिया...हार्दिक बधाई रश्मि जी।
बहुत सुंदर रचनाएं!
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