शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

है टूटा एतबार।



1-सीमा स्मृति
1
ये चारो ओर 
घमण्ड का गुबार
बनावट आधार
नोंचे- खसौटे
मानवता व प्या
है टूटा एतबार।
2
कैसा माहौल
हर ओर घोटाला
प्यार दफना डाला
कैसे संस्का
स्लों को मिटा डाला
जहर घोल दिया
-0-
2- मंजु गुप्ता 
1
अवार्ड बनी 
पांडुलिपियाँ  मेरी 
लिख खुद का नाम 
प्रकाशित की
मेरे समीक्षक ने 
जीवन पूंजी छीनीं  
2
लोभी  कुपुत्र 
लाठी का सहारा ना 
वसीयत चुराई 
आँखें दिखाए 
कृतघ्न विष पिला
प्राणों को वे हरता
-0-
3-कृष्णा वर्मा
1
अजब बात
मन हाथ जिह्वा 
सने स्वार्थ में आज
रिश्तों की नौका
छेद के पैगंबर
छूना चाहें अम्बर
-0-
4-सुनीता ग्रवाल
1
सजते नहीं
सूरजमुखी रिश्ते
जीवन गुलदस्ते
सुबह खिले
मुरझा जाते है ये
सूरज जब ढले  ।
2
तपस्यारत
बगुला नदी तट
निज उदर हेतु
भोली मछली
पहचान पाती 
खल का ग्रास बनी ।
-0--0-

गुरुवार, 21 नवंबर 2013

साँसों की लय



डॉ जेन्नी शबनम

साँसें ज़िन्दगी
निरंतर चलती
ज़िंदा होने का  
मानों फ़र्ज़ निभाती,
साँसों की लय
है हिचकोले खाती  
बढ़ती जाती  
अपनी ही रफ़्ता 
थकती रही
पर रुकती नही
चलती रही
कभी पुरजोरी से
कभी हौले से
कभी तूफ़ानी चाल
हो के बेहाल
कभी मध्यम चाल
सकपका के  
कभी धुक-धुक सी 
डर-डर के
मानो रस्म निभाती,
साँसें अक्सर 
बेअदबी करती
इश्क़ भूल के
नफरत ख़ुद से
नसों में रोष
बेइन्तिहा भरती
लगती कभी
मानो ग़ैर जिन्दगी,
रहे तो रहे
परवाह न कोई
मिटे तो मिटे
मगर साँसें घटें
रस्म तो टूटे
मानो होगी आज़ादी,
कुम्हलाई है
सपनों की ज़मीन
उगते नही
बारहमासी फूल
जो दें सुगंध
सजा जाए जीवन
महके साँसें
मानो बगिया मन,
घायल साँसें
भरती करवटें
डर- डर के
कँटीले बिछौने पे
जिन्दगी जैसे
हूलुहान साँसें
छटपटाती
मानों  जिन्दगी
रोती

आहें भरती
रुदाली बन कर
रोज़ मर्सिया गाती ।
-0-