1-सीमा स्मृति
1
ये चारो ओर
घमण्ड का गुबार
बनावट आधार
नोंचे- खसौटे
मानवता व प्यार
है टूटा एतबार।
2
कैसा माहौल
हर ओर घोटाला
प्यार दफना डाला
कैसे संस्कार
नस्लों को मिटा डाला
जहर घोल दिया ।
-0-
2- मंजु
गुप्ता
1
अवार्ड बनी
पांडुलिपियाँ
मेरी
लिख खुद का नाम
प्रकाशित की
मेरे समीक्षक ने
जीवन पूंजी छीनीं ।
2
लोभी कुपुत्र
लाठी का सहारा ना
वसीयत चुराई
आँखें दिखाए
कृतघ्न विष पिला
प्राणों को वे हरता।
-0-
3-कृष्णा वर्मा
1
अजब बात
मन हाथ औ
जिह्वा
सने स्वार्थ में
आज
रिश्तों की नौका
छेद के पैगंबर
छूना चाहें अम्बर
।
-0-
4-सुनीता
अग्रवाल
1
1
सजते नहीं
सूरजमुखी रिश्ते
जीवन गुलदस्ते
सुबह खिले
मुरझा जाते है ये
सूरज जब ढले ।
2
तपस्यारत
बगुला नदी तट
निज उदर हेतु
भोली मछली
पहचान न पाती
सूरजमुखी रिश्ते
जीवन गुलदस्ते
सुबह खिले
मुरझा जाते है ये
सूरज जब ढले ।
2
तपस्यारत
बगुला नदी तट
निज उदर हेतु
भोली मछली
पहचान न पाती
खल का ग्रास बनी ।
-0--0-
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6 टिप्पणियां:
सभी सेदोका में आज के हालात पर गहरी नज़र और सुन्दर चित्रण. सभी सेदोकाकारों को बधाई.
समाज में व्याप्त स्वार्थपरता और कुटिलता को अभिव्यक्त करते बहुत प्रभावी सेदोका ...बहुत बधाई !!
हरदीप दीदी एवं कम्बोज भैया को हार्दिक आभार :)
सीमा जी मंजू जी कृष्णा जी बधाई ..सुन्दर सेदोका ..
सुन्दर सेदोको , सभी को बधाई .
सहज-सुन्दर सेदोका के लिए सभी को बधाई...|
प्रियंका
आप सभी को सुन्दर सेदोका के लिये बधाई
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