रेनु चन्द्रा
1.
सफेद पोश
सामने फिरते हैं
भीतर से देखो तो
काले होते हैं
जपते राम नाम
कत्ल वो करते हैं ।
2.
जीवन जीते
अंधेरी गलियों में
फिर बढ़ता जाये
घोर अंधेरा
संतप्त मानव को
फिर प्रश्नों ने घेरा ।
-0-
शशि पुरवार
१
धवल वस्त्र
पहन इठलाये
मन के कारे जीव
मुख में पान
खिसियानी हंसी
अनृत कहे जीभ।
२
भोले चेहरे
कातिलाना अंदाज
शब्द गुड की डली
मौकापरस्त
डसते है जीवन
इनसे दूरी भली।
३
सांचा है साथी
हर पल का साथ
कोई बुझ न सका
दिल के राज
विषैला हमराही
विषैला हमराही
आस्तीन का है साँप।
-0-
6 टिप्पणियां:
aaj ke yathaarth ke badhiyaa sedoko .
badhaai
renu ji va shashi ji ap dono ke sedoka samaj ki visangatiyon ki sunder abhivyakti hai.
pushpa mehra.
सच्चाई को उजागर करते सभी सेदोका ! अति सुन्दर !
रेनू चंद्रा जी , शशि जी, .... हार्दिक बधाई !!!
~अनिता ललित
आज के कटु सत्य को उजागर करते प्रभावी सेदोका ..बहुत बधाई रेनू जी एवं शशि जी !
वास्तविक्ता को दर्शाते सुन्दर सेदोका !
रेनूँ चन्द्रा जी, शशि जी...बधाई !
यही सच्चाई है आज के जीवन की...बधाई...|
प्रियंका
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