शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

रिश्ते प्यार के




1-डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा 
1
रिश्ते प्यार के 
चाहा था फूलें- फलें 
सँवरें रहें  
क्या जानूँ कैसे हुए 
अमर बेल बनें
2
चुनती रही 
काँटे सदा राह से 
और वे रहे 
इतने बेफिकर 
मेरी आहों  से कैसे !
3
अरी पवन !
ली खुशबू उधार 
कली -फूल से 
ज़रा कर तो प्यार 
न कर ऐसे वार !
4
मंज़ूर मुझे 
मेरे काँधे बनते 
तेरी सीढ़ियाँ
तूने दुनियाँ रची 
मिटा मेरा आशियाँ |
 -0-

2-सुनीता अग्रवाल
1
मीठा बोलता
कोकिल मन मोहे
मन का काला
कर्कश काक भला
मन ममता- भरा ।
-0-
 
 

7 टिप्‍पणियां:

सुनीता अग्रवाल "नेह" ने कहा…

हरदीप दीदी एवं कम्बोज भैया जी को हार्दिक आभार ..

ज्योत्स्ना जी सुन्दर टांका सभी ..विशेष कर
मंज़ूर मुझे
मेरे काँधे बनते
तेरी सीढ़ियाँ
तूने दुनियाँ रची
मिटा मेरा आशियाँ |

Pushpa mehra ने कहा…

jyotsana ji apake dono tanka bahut achhe likhe hain. badhai.
pushpa mehra.

ज्योति-कलश ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति sunita जी ...शुभ कामनाएँ !!
बहुत आभार के साथ
ज्योत्स्ना शर्मा

ज्योति-कलश ने कहा…

हृदय से आभार आ पुष्पा मेहरा जी |
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

मनभावन तांका के लिए हार्दिक बधाई...|

प्रियंका

ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत आभार प्रियंका जी |

सादर
ज्योत्स्ना शर्मा

सुनीता अग्रवाल "नेह" ने कहा…

हार्दिक आभार :)