1-डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
1
रिश्ते प्यार के
चाहा था फूलें- फलें
सँवरें रहें
क्या जानूँ कैसे हुए
अमर बेल बनें
2
चुनती रही
काँटे सदा राह से
और वे रहे
इतने बेफिकर
मेरी आहों से कैसे
!
3
अरी पवन !
ली खुशबू उधार
कली -फूल से
ज़रा कर तो प्यार
न कर ऐसे वार !
4
मंज़ूर मुझे
मेरे काँधे बनते
तेरी सीढ़ियाँ
तूने दुनियाँ रची
मिटा मेरा आशियाँ |
-0-
2-सुनीता अग्रवाल
1
1
मीठा बोलता
कोकिल मन मोहे
मन का काला
कर्कश काक भला
मन ममता- भरा ।
कोकिल मन मोहे
मन का काला
कर्कश काक भला
मन ममता- भरा ।
-0-
7 टिप्पणियां:
हरदीप दीदी एवं कम्बोज भैया जी को हार्दिक आभार ..
ज्योत्स्ना जी सुन्दर टांका सभी ..विशेष कर
मंज़ूर मुझे
मेरे काँधे बनते
तेरी सीढ़ियाँ
तूने दुनियाँ रची
मिटा मेरा आशियाँ |
jyotsana ji apake dono tanka bahut achhe likhe hain. badhai.
pushpa mehra.
सुन्दर प्रस्तुति sunita जी ...शुभ कामनाएँ !!
बहुत आभार के साथ
ज्योत्स्ना शर्मा
हृदय से आभार आ पुष्पा मेहरा जी |
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
मनभावन तांका के लिए हार्दिक बधाई...|
प्रियंका
बहुत आभार प्रियंका जी |
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
हार्दिक आभार :)
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