[ यह आयोजन प्रति वर्ष पश्चिमी देशों ( अमेरिका, कैनेडा, ऑस्ट्रेलिया ) में स्कूलों में मनाया जाता है। जब मैंने इसे पहली बार देखा तो मन विचलित हो गया है। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या और क्यों हो रहा है ? बच्चों को क्या सिखाया जा रहा है ? क्या उनको ये अहसास करवाया जा रहा है कि गुलामों का जीवन कैसा होता है या गुलामों से कैसा व्यवहार करना चाहिए ? लोगों ने जब इसका विरोध किया तो कुछ स्थानों पर इसे प्रतिबन्धित कर दिया गया है । कहीं यह अब भी जारी है। मैंने अपना फ़र्ज़ जानकर इसकी जानकारी इस हाइबन के रूप में आप सबको दी है। फैसला हमें करना है कि क्या ये सही है या नहीं ?]
डॉ हरदीप कौर सन्धु
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डॉ. हरदीप कौर संधु
सर्दियों की गुनगुनी सी धूप वाली सुबह। घंटी बजते ही विद्यार्थी प्रार्थना सभा के लिए इकट्ठा होने लगे। उनके चेहरों पर सुबह की ताज़गी जैसी चमक थी। आज़ाद हवाओं में फूलों
-सी महक थी। सभी इस नए ताज़े दिन को अपने ही रंग में रँगने के लिए तैयार थे।
बाहरवीं कक्षा का आज स्कूल में आखिरी दिन था। उनकी आज नीलामी थी। हर विद्यार्थी ने आज का दिन किसी का गुलाम बनकर रहना था -गुलामी के एक दिन जैसे।
कुछ ही पल के बाद नीलामी शुरू हो गई थी। बाहरवीं
कक्षा के विद्यार्थी अपनी-अपनी योगयता
को प्रकटा करते हुए एक -एक करके अपने -आप को पेश कर रहे थे। एक अध्यापक बोली लगा रहा था। बाकी अध्यापक तथा विद्यार्थी बोली दे कर अपना -अपना गुलाम खरीद रहे थे।एक दिन के लिए बने मालिक अपने
गुलामों से मन चाहा काम करवाने की योजना बना रहे थे।
स्कूल के साझे फंड के लिए पैसा
जमा हो रहा था , परन्तु ये घटनाक्रम मेरी सोच को कचोट रहा
था। कहते हैं कि अगर हज़ारों वर्ष सूर्य न भी उगे तब भी लोग
जी लेते हैं ;मगर किसी की गुलामी करना, अपने ज़मीर को मारकर बेगैरत ज़िंदगी का एक दिन भी
गुज़ारना बहुत कठिन होता है। गुलामी के कड़वे सच को आँखों से
ओझल कर आज अलबेले मनों की सोच को दूषित किया जा रहा था। अब मेरी सोच के तलवे जलने लगे
थे। मानव- इतिहास को कलंकित करने
वाली ब्रिटिश साम्राज्य की कुलटा चाल की पैदायश 'गुलामी'
को खत्म करने के लिए एक ओर ढेर कोशिशें हुईं और शायद आज भी हो रही
हैं; मगर दूसरी ओर ऐसे दिन मनाकर मानवता को कुचलती विचारधारा
को यहाँ आज फिर से जीवित किया जा रहा है।अचानक मुझे किसी पिंजरे में बंद
तोते का रुदन सुनाई देने लगा। अब मैं सहज होकर भी सहज नहीं थी।
लम्बी उड़ारी -
पिंजरे वाला
तोता
देखे अम्बर।