पाँव छिले हैं !
1-ताँका:अनिता ललित
1
कैसे गिले हैं !
ज़हरीले काँटों से-
पाँव छिले हैं !
वक़्त ने उगाए जो,
दिल में वो चुभे हैं !
2
तुम जो रूठे
यादें ठहर गईं
वक़्त न रुका !
चलती रही साँसें
धड़कन है थमी।
3
भूलेंगे कैसे !
तुमसे ग़म मिले-
सहेजे मैंने !
ये हैं प्यार के सिले-
अब होंठ हैं सिले !
4
दिल की गली
तेरी यादें हैं टँगी
आँखें हैं गीली !
पलक-अलगनी
हुई हैं सीली-सीली।
5
उनींदी रात,
चाँद-झूमर सजा
घर को चली।
किरणें थामें हाथ
कहें, ‘भोर हो
चली।’
-0-
2-माहिया-सुदर्शन रत्नाकर
1
मिसरी की डलिया हैं
खिलने दो इनको
कोमल ये कलियाँ हैं।
2
हर घाट लगा पहरा
मोती वह चुन लेगा
साहस जिसका गहरा।
3
महलों में रहते हैं
वो कैसे जाने
निर्धन दुख सहते
हैं।
4
कंचन सी काया है
मत अभिमान करो
पल भर की माया है।
5
सागर की लहरें हैं
कैसे टूटे वो
रिश्ते जो गहरे हैं।
6
सुख -दुख तो छाया है
सब कुछ सह ले तू
प्रभु की यह माया है।
-0-
10 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर ताँका और माहिया....अनीता ललित जी, सुदर्शन रत्नाकर जी हार्दिक बधाई।
mahiya ne man moh liya tanka bhi bahut achhe hain hardik badhai...
बहुत सुन्दर ,मधुर माहिया और ताँका ...आदरणीया सुदर्शन दीदी एवं अनिता सखी जी को हार्दिक बधाई !
सभी को गणेश चतुर्थी पर मंगल कामनाएँ !
सागर की लहरें हैं
कैसे टूटे वो
रिश्ते जो गहरे हैं।--अतिसुन्दर !!!
सभी माहिया दिल को छूने वाले हैं !
हार्दिक बधाई आ. सुदर्शन दीदी!
मेरे ताँका को यहाँ स्थान मिला , इसके लिए संपादक द्वय का हृदय से आभार !!!
~सादर
अनिता ललित
Beautiful tanka and sadoka
अनीता ललित जी के बहुत खूबसूरत तांका और सुदर्शन जी के सुमधुर माहिया है आप दोनों को हार्दिक बधाई |
अनिता जी बहुत ही खूबसूरत ताँका।
दिल की गली
तेरी यादें हैं टँगी
आँखें हैं गीली !
पलक-अलगनी
हुई हैं सीली-सीली।
सारे ताँका सुंदर।
सुदर्शन जी सारे माहिया सुंदर।
सागर की लहरें हैं
कैसे टूटे वो
रिश्ते जो गहरे हैं।--
तेरी यादें हैं टँगी
आँखें हैं गीली !
पलक-अलगनी
हुई हैं सीली-सीली।aadarniy sudarshan ji ,anita ji ,bahut sundar rachnayen!man ko mohne wali.haardik badhai aap dono ko !
सभी तांका और माहिया बहुत पसंद आए...हार्दिक बधाई...|
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