डॉ• भावना कुँअर
1
फिर क्या खोट रहा
जो दूर बना साया ।
2
अब किससे दर्द कहें
बदले फूलों के
काँटों में साथ रहे ।
3
कैसे ये बात कहें
दरिया ख्वाबों का
हम बिन पतवार बहे।
4
हमसे क्यों लोग जले
घिरकर के ग़म से
हम खुद ही दूर चले ।
5
कलियाँ तो रोज खिलीं
हमको झलक कभी
तेरी ना तनिक
मिली ।
6
चातक -किस्मत पाई
प्यार -भरी बूँदें
दामन में न समाई।
7
पास अगर आओगे
कह देते हैं हम-
फिर जा,
ना पाओगे।
8
बाहों में यूँ लेना
तेरी फ़ितरत है
मदहोश बना देना।
9
बोलो कब आओगे ?
उखड़ रही साँसें
सूरत दिखलाओगे ?
10
किरणों -संग रवि चला
पंछी शोर करें
मन एकाकी मचला ।
11
थे सब मीत किनारे
जाने फिर कैसे
हम लहरों से हारे ।
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5 टिप्पणियां:
भावना जी सारे माहिया सुमधुर सुंदर। हार्दिक बधाई।
bhawna ji saare mahiya sundar !isne man moh liya ...dard bhari sachchaie!
चातक -किस्मत पाई
प्यार -भरी बूँदें
दामन में न समाई।
सुंदर
बहुत सुन्दर ,भावपूर्ण माहिया !
हार्दिक बधाई भावना जी !!
bahut bahut aabhar aap sabka..
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