रविवार, 20 सितंबर 2015

दरिया ख्वाबों का



डॉ भावना कुँअर
1
गूगल से साभार
पूजा- सा था चाहा
फिर क्या खोट रहा
जो दूर बना साया ।
2
अब किससे दर्द  कहें
बदले फूलों के
काँटों में साथ रहे ।
3
कैसे ये बात कहें
दरिया ख्वाबों का
हम बिन पतवार बहे।
4
हमसे  क्यों लोग जले
घिरकर के ग़म से
हम खुद ही दूर चले ।
5
कलियाँ  तो रोज खिलीं
हमको झलक कभी
तेरी  ना तनिक  मिली ।
6
चातक -किस्मत पाई 
प्यार -भरी  बूँदें
दामन में  न समाई।
7
पास अगर आओगे
कह देते हैं हम-
फिर जा, ना पाओगे।
8
बाहों में यूँ लेना
तेरी फ़ितरत है
मदहोश बना देना।
9
बोलो कब आओगे ?
उखड़ रही साँसें
सूरत दिखलाओगे ?
10
किरणों -संग रवि चला
पंछी शोर  करें
मन एकाकी मचला ।
11
थे सब मीत किनारे
जाने फिर कैसे
हम लहरों से  हारे ।
-0-

5 टिप्‍पणियां:

Anita Manda ने कहा…

भावना जी सारे माहिया सुमधुर सुंदर। हार्दिक बधाई।

Jyotsana pradeep ने कहा…


bhawna ji saare mahiya sundar !isne man moh liya ...dard bhari sachchaie!

चातक -किस्मत पाई
प्यार -भरी बूँदें
दामन में न समाई।

kashmiri lal chawla ने कहा…

सुंदर

ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत सुन्दर ,भावपूर्ण माहिया !
हार्दिक बधाई भावना जी !!

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

bahut bahut aabhar aap sabka..