ज्योत्स्ना
प्रदीप
सब बदला !
बस !तुम ही तो हो
आज तक भी ,
हो उतनी ही प्यारी ।
वह पहली
मिश्री- सी किलकारी ,
रसना पर
तूने ही तो घोली थी ।
शिशु रूप में
माँ! सच!. तू बोली थी
घर में ही क्यों ?
हर प्रान्त में तेरी
वो मीठी चास
तुझसे वर्तमान
व इतिहास ।
विदेशों में भी
तो
अपना ध्वज
फ़हरा कर आई
वीराने दिल
बहारें बन आई
मन की बात
सबने ही
जानी है
और ठानी है-
राजभाषा के
साथ
मातृभाषा का
छत्र तुझे
चढ़ाना
अभी शेष है
दीप्त हो तेरा वेश
यही शुभ्र सन्देश ।
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12 टिप्पणियां:
ज्योत्स्ना प्रदीप जी बहुत सारपूर्ण चोका । बधाई
आदरणीय भैया जी एवम बहन हरदीप जी
आपको हिंदी दिवस की बहुत सारी शुभकामनाएं ! माँ भारती ने आपके शुभ हाथों में इतना सुन्दर कार्य दिया है ये हिंदी का प्यारा कार्य,दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करे । ।आप लोगों के सारे स्वप्न पूरे हो ! …यही पुण्य कामना है। ।प्रभु अवश्य पूरी करेंगे।
धन्यवाद अनीता मंडा जी इस प्यारी सराहना के लिए। …… पुनः हिंदी दिवस की सभी को बहुत -बहुत बधाई।
बहुत ही सुन्दर भावनाओं से परिपूर्ण चोका ज्योत्स्ना जी !
बहुत-बहुत बधाई ,शुभकामनाएँ आपको !
हिंदी दिवस पर उत्कृष्ट चोका
ज्योत्स्ना प्रदीप जी बधाई
अप्रतिम पंक्तियाँ
विदेशों में भी तो अपना ध्वज फ़हरा कर आई वीराने दिल बहारें बन आई मन की बात सबने ही जानी है और ठानी है- राजभाषा के साथ मातृभाषा का छत्र तुझे चढ़ाना अभी शेष है दीप्त हो तेरा वेश यही शुभ्र सन्देश ।
Aapka choka bahut hi sarthak aur sateek hai....iska satvik bhaav kisi ko bhi apni or unmukt karne me saksham hai jyotsana ji....itna sundar sandesh dene ke liye aapko badhai...
हिंदी भाषा का शुभ संदेश
बहुत सुन्दर चोका ज्योत्स्ना जी..... बहुत-बहुत बधाई!
Bahut pyara laga aapka choka bahut bahut badhai...
अतिसुन्दर एवं सारगर्भित चोका ज्योत्स्ना प्रदीप जी! बहुत बधाई आपको !
'हिन्दी दिवस' की हार्दिक शुभकामनाएँ !
~सादर
अनिता ललित
ज्योत्सना जी अति सारगर्भित चोका है| हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई |
aap sabhi ka hridy tal se abhaar !abhaar!
एक सारगर्भित चोका के लिए मेरी हार्दिक बधाई...|
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