डॉ•हरदीप सन्धु
1
( चित्र:गूगल से साभार) |
खोए रिश्ते मिलते
सूखे बागों में
पाटल मन के खिलते
2
हम जिस भी ओर चले
पथरीली राहें,
काँटों के छोर मिले।
3
रिमझिम बरसा पानी
नैनों की नदिया
कहती करुण कहानी।
4
कलकल बहती धारा
निर्मल जल -जैसा
पावन साथ तुम्हारा ।
5
मौसम सब प्यारे हैं
माही जब मिलता
तब जश्न, बहारे हैं ।
6
तुम धीरे से बोलो
मन की गगरी में
रस भावों का घोलो ।
-0-
18 टिप्पणियां:
khoye rishte milate,sookhe bagon me.n,patal man ke khilate . bahut sunder mahiya hai.
anya sabhi mahiya bhi alag -alag bhavon se bhare bahut sunder hain.
pushpa mehra.
बहुत मधुर मनभावन माहिया हरदीप जी । बधाई।
Sundar mahiya :)
सभी माहिया खूबसूरत है विशेषकर
तुम धीरे से बोलो......
बधाई |हरदीप जी
सभी माहिया बहुत सुंदर हैं
माहिया विधान का बाखूबी निर्वाह किया आपने !!प्रकृति के साथ साथ मानवीय जीवन की विडबना को दर्शाते हुये श्रृंगार की सरस अभिव्यक्ति ने मन मोह लिया ।
बधाई डॉ०हरदीप जी !!!
माहिया विधान का बाखूबी निर्वाह किया आपने !!प्रकृति के साथ साथ मानवीय जीवन की विडबना को दर्शाते हुये श्रृंगार की सरस अभिव्यक्ति ने मन मोह लिया ।
बधाई डॉ०हरदीप जी !!!
बधाई हरदीप जी आपके माहिया में झरने की कलकल है | बहुत भावपूर्ण
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, महान समाज सुधारक राजा राम मोहन राय - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
Bahut bhavpurn , komal prempurn mahiya bahut sari badhai...
Behad sundar maahiya, Dr. Sandhu! Shubhkaamnayen!
भावों साथ बहते माहिया
manviy jeevan ki peeda ko prakrti ke saath badi sundarta se darshaya hai aapne hardeep ji ...sabhi mahiya manmohak !....badhai aapko !
बहुत निर्मल , पावन भावधारा प्रवाहित करते माहिया ...
तुम धीरे से बोलो
मन की गगरी में
रस भावों का घोलो ...अनुपम !!
हार्दिक बधाई डॉ. हरदीप जी !
बहुत बहुत सुन्दर माहिया हरदीप जी
हर माहिया अपने भाव खूबसूरती से व्यक्त कर रहा है
बधाई
प्रेम विरहा और मिलन के भावों को संजोये माहिया मन में भाव गंगा बहा गये। सुंदर सरस रचना। हरदीप जी बहुत बहुत बधाई।
बहुत सुन्दर भावपूर्ण माहिया हरदीप जी....हार्दिक बधाई!
हम जिस भी ओर चले
पथरीली राहें,
काँटों के छोर मिले।
कितनी सच्ची बात कही है...| बहुत बेहतरीन माहिया हैं सभी...| हार्दिक बधाई...|
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