गुरुवार, 1 अक्तूबर 2015

वक्त ने कैसा छला

ज्योत्स्ना प्रदीप

देखो तो तुम्हें
फो्टो: गूगल से साभार
वक्त  ने कैसा छला  !
तेरा वो रूप ,
धुँधला  -सा हो चला ।
पहले तेरे
अधरों से बही थी -
प्रेम की धार
वो मादक बहार 
था भोला रूप
मानों शिशिर -धूप -
जानें किधर
भेस बदलकर ,
वो पल गए। 
तुम बदल गए!
अब तो तेरी
आँखों की  बाँबियों से
शिकायतों  के
सर्प निकलते हैं
मेरी आँखों में
भय भर जातें हैं
क्यों ये विचित्र
मनोदशा  बना ली
जब तू बना
विषधर -सा कभी
क्यों बनी थी मै 
वो चन्दन की डाली
पीड़ा- यही है खाली
-0-

16 टिप्‍पणियां:

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

ज्योत्सना जी ,वक्त ने कैसा छला| भावों से भरपूर चोका है | हार्दिक बधाई |

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

ज्योत्सना जी ,वक्त ने कैसा छला| भावों से भरपूर चोका है | हार्दिक बधाई |

Unknown ने कहा…



वक्त बदलने से कितना कुछ बदल जाता है। वक्त की छलना है या फिर उस की जिस पर दिलोजान लुटाई ? चोका भावपूर्ण है। बधाई ज्योत्स्ना जी।


Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

अब तो तेरी
आँखों की बाँबियों से
शिकायतों के
सर्प निकलते हैं
मेरी आँखों में
भय भर जातें हैं

mera dard nikalkar choka rach dala aapne aap vastav men badhai ki paatr hain..dekhiye na vakt bhi kaise badl jata hai jab kisi ke liye jaan di jaati thi ab jaan li jati hai.. :)

Pushpa mehra ने कहा…

ab to teri \ankhon ki banbiyon se\ shikayaton ke\ sarp nikalatehain....... vastav mein
vakt bahut kuchh badal deta hai, jise apane mahsoos kiya aur choka mein use vyakt kar diya. jyotsna ji apko badhai.
pushpa mehra

Krishna ने कहा…

अब तो तेरी
आँखों की बाँबियों से....

बड़े उपयुक्त शब्दों में छलिया वक्त से उपजे दर्द को व्यक्त किया है आपने। बहुत बढ़िया चोका ज्योत्स्ना प्रदीप जी। हार्दिक बधाई।

Sudershan Ratnakar ने कहा…

बहुत सुंदर भावपूर्ण चोका। बधाई।

kashmiri lal chawla ने कहा…

Beautiful atraction

Jyotsana pradeep ने कहा…

AADARNIY SAVITA JI ,KAMLA JI ,BHAWNA JI ,PUSHPA JI ,KRISHNA JI ,RATNAKAR JI EVAM KASHMIRI JI AAP SABHI KA HRIDY SE ABHAAR !BADI PYAARI TARAH UTSAAH BADAYA HAI AAPNE ..PUNH ABHAAR

Anita Manda ने कहा…

बहुत ही भावपूर्ण चोका।बधाई
अब तो तेरी
आँखों की बाँबियों से
शिकायतों के
सर्प निकलते हैं

Manju Gupta ने कहा…

जब तू बना
विषधर -सा कभी
क्यों बनी थी मै
वो चन्दन की डाली
पीड़ा- यही है खाली
सारगर्भित सुंदर चोका
बधाई

ज्योति-कलश ने कहा…

अनुपम रचना ज्योत्स्ना जी !
शिकायतों के सर्प और चन्दन की डाली ....बहुत सटीक शब्दों में सशक्त अभिव्यक्ति ...हार्दिक बधाई आपको !

sunita pahuja ने कहा…

बहुत सुंदर भावपूर्ण चोका है ज्योत्स्ना जी।पश्चाताप न करें, चंदन की डाल ही बनी रहें, कोई कुछ छीन नहीं पाएगा पर शीतलता की आपके पास कमी न रहेगी। हार्दिक बधाई।

Jyotsana pradeep ने कहा…

anita ji manju ji ,jyotasna ji , sunita ji pritsahan ki ada ne man moh liya ...sabhaar -

jyotsna pradeep

Unknown ने कहा…

aapka choka bada hi saral bhasha me pure bhaavon ka sagar liye hai....aapko bohot bohot badhai jyotsana ji

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

अब तो तेरी
आँखों की बाँबियों से
शिकायतों के
सर्प निकलते हैं
दिल को चीर गई ये पंक्तियाँ...| बहुत बेहतरीन चोका...| हार्दिक बधाई...|