डॉ०पूर्णिमा राय
1
ये फूलों की क्यारी
काँटों -बीच सजी
लगती सबको प्यारी।
2
कानों में रस घोले
मुरली की ये धुन
भेद दिलों के खोले।।
3
आँखों में सपने हैं
तेरा संग मिले
दुश्मन भी अपने हैं।
4
टिप-टिप पानी बरसे
रूठ गये हो तुम
प्रेमी मन ये तरसे।
5
लगता मोरा न
जिया
गिन -गिन तारे भी
कटती ना रात पिया।
6
राहों में हैं
काँटें
चुनकर काँटों को
फूलों को हम
बाँटें।
-0-
...
14 टिप्पणियां:
डॉ पूर्णिमा जी सभी माहिया का सुन्दर भावों के साथ सृजन किया है |हार्दिक बधाई |नवरात्रि की शुभकामनाएं |
bahut sundar maahiya, Purnima ji, shubhkaamnaayen!
आभार सविता जी!!
आभार अमित जी
आभार सविता जी!!
ये फूलों की क्यारी
काँटों -बीच सजी
लगती सबको प्यारी।
yah vishesh , sbhi utkrisht haen
badhai
sabhi mahiya bahut pyare purnima ji aapko !haardik badhai !
बहुत सुंदर माहिया।
हर माहिया अपने अलग भाव - सज्जा से सजा है , बहुत सुंदर है , पूर्णिमा जी आपको बधाई |
पुष्पा मेहरा
बहुत सुन्दर माहिया पूर्णिमा जी....बधाई।
सुंदर माहिया डॉ पूर्णिमा राय जी !
हार्दिक बधाई !!!
~सादर
अनिता ललित
राहों में हैं काँटें
चुनकर काँटों को
फूलों को हम बाँटें।
bahut khub ! bahut sari badhai aapko sundar lekhn ke liye...
राहों में हैं काँटें
चुनकर काँटों को
फूलों को हम बाँटें।
बहुत सुन्दर माहिया हैं सभी...पर ये वाला अधिक पसंद आया | बधाई...|
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