1-डॉ हरदीप कौर सन्धु
1
ख्वाबों में
आ आते
याद कभी रखते
तो भूल कभी जाते।
2
अब यूँ बेनूर न हो
आज दुआ मेरी
तू दिल से दूर न हो।
3
होंठों से गीत झरें
मीत चलो मिलके
जीवन में रंग
भरें।
4
हमने हर स्वाद चखा
शूलों-फूलों का
कोई न हिसाब रखा।
5
सावन के झूलों से
लिपटी है खुशबू
ले आओ फूलों
से।
6
आँखों से नीर बहे
खुद मिटकर के भी
जियरा की पीर कहे।
7
हर द्वार नहीं मिलती
साँसों की खुशबू
हर रोज़ नहीं खिलती
8
पानी का कतरा है
सबमें घुल जाना
जीवन का खतरा है
-0-
2-अनिता मंडा
आसरा
हमारे बीच
तूमने कभी एक
खींची दीवार
उसको ही हमने
बनाया घर
मत डालो दरार
उसमें अब,
दीवारों में दरार
होती न अच्छी
छत उठा रखी है
अपने पर
इन दीवारों ने ही
दिया हमें आसरा।
-0-
15 टिप्पणियां:
हमने हर स्वाद चखा
शूलों-फूलों का
कोई न हिसाब रखा।
katu sach! bahut bahut badhai..anitaji ki rachna bhi bahut achhi hai unko bhi badhai...
खींची दीवार
उसको ही हमने
बनाया घर
अनीता जी नारी मन की कोमलता व अपनापन झलकता है इनमें!! सच में नारी ऐसी ही है
होंठों से गीत झरें
मीत चलो मिलके
जीवन में रंग भरें।
काश आज हर दिल की ऐसी सोच बन जाए तो रिश्तों मे आ रही दरारें भर जाएंगी और प्रेम व स्नेह की छटा बिखरने लगेगी।
उम्दा माहिया डॉ०हरदीप जी!
आँखों से नीर बहे
खुद मिटकर के भी
जियरा की पीर कहे।
क्या बात है...सारे माहिया एक से बढ़ कर एक...| बहुत बहुत बधाई...|
अनीता जी, इतने सुन्दर चोका के लिए ढेरों बधाइयाँ...|
हमने हर स्वाद चखा
शूलों-फूलों का
कोई न हिसाब रखा....behad khubsoorat!
Dr. Sandhu ko shubhkaamnayen!
Anita ji, sundar rachna! Shubhkaamnayen..
आओ मिलकर संकल्प करें ,मन में दीवार न उठने दें , मिलकर उसमें नित चमक भरें , चटकन - टूटन पास ना
फटकने दें | घर की छत का आधार तो दीवार ही है ......|अनिता जी बहुत सुंदर कविता | बहन हरदीप जी के सभी
माहिया संवेदना से भरे मन मोह रहे हैं ,आप दोनों को बधाई |
पुष्पा मेहरा
सुंदर ! बधाई !
हमने हर स्वाद चखा
शूलों-फूलों का
कोई न हिसाब रखा।
एक से एक बढ़िया माहिया।
हार्दिक बधाई हरदीप जी।
बहुत सुन्दर चोका अनीता जी बहुत बधाई।
हमने हर स्वाद चखा
शूलों-फूलों का
कोई न हिसाब रखा।
एक से एक बढ़िया माहिया।
हार्दिक बधाई हरदीप जी
अनीता जी, इतने सुन्दर चोका के लिए ढेरों बधाइयाँ...|
मेरे चोका को यहां स्थान देने व सराहने हेतु आभार।
हरदीप जी एक से बढ़कर एक माहिया हैं आपके।शुभकामनाएँ।
अब यूँ बेनूर न हो
आज दुआ मेरी
तू दिल से दूर न हो।
हरदीप जी सभी माहिया लय - ताल गहराई लिए हुए , पर यह विशेष लगा . बधाइ
अनीता जी, सुन्दर चोका के लिए बधाइ
हरदीप जी के माहिया अत्यंत भावों से परिपूर्ण है| अनिता जी का भी चोका सुन्दर रचना है आप दोनों को बधाई और शुभकामनाएं |
हरदीप जी अति सुन्दर भावपूर्ण माहिया।
हमने हर स्वाद चखा
शूलों फूलों का
कोई न हिसाब रखा।
सुन्दर । बधाई
अनीता जी आपका चोका बहुत अच्छा लगा। बधाई
sundar maahiyaa ...
hamane har swaad aur hothhon se geet kharein ...bahut achchhe lage ..badhaii hardeep ji !
sundar bhaav bhare choka ke liye bahut badhaii anita ji !
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