1-डॉ
सरस्वती माथुर
1
तुम भूल नहीं जाना
करवा पूजा है
चूनर ओढ़ा जाना ।
2
देवर जी आ जाना
करवा की सरगी
भाभी को दें जाना ।
-0-
2-डॉ०पूर्णिमा
राय
1
करवाचौथ
मनभावन व्रत
नारियां सजी
मधुरिम भावों से
चमके मुख छवि!!
2
मन्द मुस्कान
है सोलह शृंगार
मनवा पंछी
प्रिय रंग में रँगा
ढूँढ रहा है चाँद!!
3
झाँके चन्द्रमा
बादलों के बीच से
आँख मिचौली
चाँदी की रेखा से ही
माँग -सिंदूर सजे!!
4
रूप निखरा
देख नव वसुधा
डोले गगन
मिलन- विकलता
पुकारे चन्द्रमा को!!
-0-
11 टिप्पणियां:
डॉ सरस्वती और डॉ पूर्णिमा को सुंदर सृजन हेतु बधाई ! करवा पर्व की शुभकामनाएँ !
डॉ०सरस्वती जी बढिया माहिया।
आभार आ०रामेश्वर जी एवं हरदीप संधू जी रचना को स्थान देने हेतु।
डॉ०सरस्वती जी बढिया माहिया।
आभार आ०रामेश्वर जी एवं हरदीप संधू जी रचना को स्थान देने हेतु।
सरगी की प्रथा व चाँद का महत्व, धरती और गगन(प्रकृति व पुरुष ) का मूक सम्बन्ध चंद वर्णों से शब्दरूप थाल में सँजोया बहुत ही सुंदर है |माथुर जी व पूर्णिमा जी को बधाई |
पुष्पा मेहरा
डॉ.सरस्वती जी और पूर्णिमा जी आपदोनो को सुन्दर सृजन हेतु हार्दिक बधाई.
सभी लाजवाब माहिया , तांका करवाचौथमय हैं .
दोनों ही लेखन में स्वयं सिद्धहस्त हैं .कथ्य - तथ्य - शिल्प गहराई लिए हुए हैं .
बधाई
सुन्दर........... मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन की प्रतीक्षा |
http://hindikavitamanch.blogspot.in/
http://kahaniyadilse.blogspot.in/
सभी लाजवाब माहिया , तांका....
डॉ.सरस्वती जी और पूर्णिमा जी आपदोनो को सुन्दर सृजन हेतु हार्दिक बधाई
Sundar...badhai...
बहुत बढ़िया माहिया और ताँका आप दोनों को हार्दिक बधाई।
बहुत सुन्दर माहिया और तांका हैं...| बधाई...|
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