डॉ•ज्योत्स्ना
शर्मा
1
मीठी ख़ुमारी
सोए रहे सपने
आँख खुली तो
कोई न संग, साथ
ग़म ही थे अपने ।
-0-
1
कविता ,छंद
गीत, ग़ज़ल सारे
बड़े भोले होते हैं,
जग भर के
ग़म-ख़ुशियाँ देखो
काँधों पर ढोते हैं
।
2
अरी ख़ुशियों !
झाँकके देखा ,फिर
मुँह क्यों छुपा
लिया ?
ग़म ही भले
आए मेरे दिल को
आशियाँ बना लिया
।
-0-
12 टिप्पणियां:
वाह बहुत सुन्दर ज्योत्स्ना जी। भाव पूर्ण तांका और सेदोका।
बधाई स्वीकार करें।
मीठी खुमारी के अन्तेरगत ज्योत्सना जी की सभी बहुत भावपूर्ण और सुन्दर हैं. बधाई सुरेन्द्र वर्मा
bahut aabhaar sampaadak dway evam Manjusha ji ,aadarniy Dr. varma ji ,Kashmiri lal ji hruday se dhanyawaad !
jyotsna ji ,aapne bahut sundar v bhaavpurn taanka aur sedoka likhe hain ..badhai sweekar karen!
बहुत सुन्दर ताँका और सेदोका....ज्योत्स्ना जी बधाई।
मीठी ख़ुमारी
सोए रहे सपने
आँख खुली तो
कोई न संग, साथ
ग़म ही थे अपने ।
Bahut baar aise sapnon se mera samna hua hai main samjh sakti hun in sapnon ko aapne bahut achha likha meri badhai...
ज्योत्स्ना दीदी बहुत भावपूर्ण ताँका और सेदोका। बधाई।
वाह! मन को छू गए... ताँका एवं सेदोका दोनों !
बहुत बधाई... प्रिय सखी ज्योत्स्ना जी !
~सादर-सस्नेह
अनिता ललित
डा. ज्योत्स्ना शर्माजी बहुत सुंदर लगा ताँका और सेदोका। यह वाला बहुत अच्छा लगा. अरी खुशिओं--- मुँह क्यों छुपा लिया /गम ही भले मेरे दिल को /आशियाँ बना लिया। वाह !बधाई आप को।
बहुत मनभावन तांका और सेदोका...हार्दिक बधाई...|
is sneh aur sammaan ke liye aapa sabhii kaa bahut-bahut aabhaar !
saadar
jyotsna sharma
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