मंजूषा ‘मन’
माहिया
1
बातें कुछ ऐसी हैं
उसने जो बोलीं
सब मिश्री जैसी हैं ।
2
दिल के सब झूठे हैं
इनसे डरके ही
सपने सब टूटे हैं।
3
गुरुवर जो आप मिले-
मेरे जीवन में
कविता के फूल खिले।
-0-
2-ताँका
1
आँखों को मेरी
एक तो स्वप्न दे दो
पूरा जीवन
जी लूँ इस चाह में
कि सपना सच हो ।
-0-
7 टिप्पणियां:
मंजूषा जी माहिया मधुर व ताँका अति सुंदर।हार्दिक बधाई।
आभार अनीता जी
bahut khoobsurat mahiya v taanka manjusha ji !aapko bahutr -bahut badhai!
बहुत सुन्दर ,मधुर माहिया मंजूषा जी ..
ताँका भी बहुत भावपूर्ण ..हार्दिक बधाई !
सुंदर माहिया एवं ताँका !
हार्दिक बधाई मंजूषा 'मन' जी एवं कमला घटाऔरा जी।
~सादर
अनिता ललित
बहुत उम्दा!! बधाई
sabhi rachnayen achi lagi bahut bahut badhai..
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