-ज्योत्स्ना
'प्रदीप'
हे योगमाया !
तुम हो एक साध
महानंद की
अनुभूति -अगाध !
ओज -सुवास
सहस्रों कुसुमों का
शुभ्र माखन,
स्निग्धता व मिठास
!
विशुद्ध प्रेम
सम्पूर्ण अवधि हो ,
धैर्य ,शान्ति का
एक महाजलधि !
तुम पूजन
नैवेद्य , पंचामृत
तुम ही तो हो
अतृप्त- आत्मा- व्रत
तुम प्रसव
गति हो ,संहार हो
सत्व -भाव का
अविरल
विस्तार
महाप्रकृति
ब्रह्माण्ड -महागान
दिव्यता का हो
चिर -अनुसंधान !
हो महाशून्य
अद्भुत महारास ,
तुम ही राधा -
ये दिवस प्रभात
हो स्वयं कृष्ण
साक्षात् !
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11 टिप्पणियां:
बहुत ही खूबसूरती से कृष्ण साक्षात किया है और लिखा है बधाई ज्योत्सना जी |
bahut sunder choka hai . jyotsna ji badhai.
pushpa mehra.
बहुत सुन्दर चोका ज्योत्स्ना जी बहुत बधाई!
ज्योत्सना प्रदीप जी।कृष्ण साक्षात मे ।आपने कितनी विद्वता से चोका लिखा ।चहूँ ओर विराट का दर्शन होने लगा ।बहुत सुन्दर भाव पूर्ण रचना है ।वधाई ।
Sundar choka badhai aapko ...
योगमाया से कृष्ण साक्षात तक अद्भुत अभिव्यक्ति ज्योत्स्ना जी !
हार्दिक बधाई ..सादर नमन आपको !
aapke is anokhe pyaar ke liye sadaiv rini rahongi .....
सुंदर चोका के लिए बहुत बधाई आपको ज्योत्स्ना जी !
~सादर
अनिता ललित
dhanyvaad anita ji !
bada hi sundar choke ki prastuti ki hai jyotsana ji aapki lekhni sadaiv hi prernadayak hoti hai....aapko mera hardik naman....
अति सुन्दर...| जैसे श्रीकृष्ण जैसा ही मनोहारी...| बधाई...|
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