सोमवार, 10 फ़रवरी 2020

901-तेरी वो पाती


ज्योत्स्ना प्रदीप 
1
हथेली पर 
जब भी शूल  उगे 
खुद को छील लिया 
होंठों ने तेरे
चुग लिया प्यार से 
हर काँटा दर्दीला !
2
कुछ काँटें थे 
जो मन में चुभोए 
हम बहुत  रोये 
ग़म इतना 
जिसको दिया प्यार 
वो ही दे गया ख़ार !
3
तेरी वो पाती 
आज तक  सहेजी 
तुमने थी जो भेजी 
भरी आँखों से
अश्रु -धारा के साथ 
मलयानिल  हाथ !
-0-

11 टिप्‍पणियां:

Sudershan Ratnakar ने कहा…

बहुत ही सुंदर भावपूर्ण सेदोका।हार्दिक बधाई ज्योत्सना जी

Dr. Purva Sharma ने कहा…

दर्द बयाँ करते सेदोका ...
सुंदर सृजन
हार्दिक शुभकामनाएँ ज्योत्स्ना जी

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

बेहद खूबसूरत और मार्मिक सेदोका। आपको बधाई ज्योसना जी!!चुग लिए प्यार से...बहुत खूब।

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

मार्मिक भाव से ओत प्रोत सेदोका हैं ज्योत्स्ना जी बधाई |

Satya sharma ने कहा…

बहुत ही भावपूर्ण , उम्दा सृजन
हार्दिक बधाई 💐💐

Jyotsana pradeep ने कहा…

मेरी रचनाओं को स्थान देने के लिए सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार करती हूँ... आप सभी साथियों का भी हृदय से धन्यवाद !

Krishna ने कहा…

सुंदर मर्मस्पर्शी सेदोका... बधाई ज्योत्स्ना जी।

Shashi Padha ने कहा…

मार्मिक सेदोका ज्योत्स्ना जी साथ में प्रेम का संचार भी करते हैं | बधाई |

Vibha Rashmi ने कहा…

भावप्रवण सेदोका । ज्योत्स्ना जी हार्दिक बधाई लें ।

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

अतिसुन्दर एवं भावपूर्ण सेदोका ज्योत्स्ना जी। बहुत बधाई आपको इस सुंदर सृजन के लिए!

~सस्नेह
अनिता ललित

Jyotsana pradeep ने कहा…

आद.शशिजी,विभा जी एवँ सखी अनिता जी .. मेरा हौसला बढ़ाने के लिए आप सभी का हृदय से आभार !!