बुधवार, 19 फ़रवरी 2020

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1-ताँका
मंजूषा मन
1.
नेह के नाते
तुम्हें कैसे बताते
बीती थी क्या क्या
पीर गाथा सुनाते
क्यों संग में रुलाते?
2.
सारे के सारे
दर्द मिट ही जाते,
घावों के चिह्न
हरदम रुलाते 
बीता याद दिलाते।
-0-
2-सेदोका
सविता अग्रवाल 'सवि'
1
दूरियाँ हुईं
सहते गए हम
अकेले काटे दिन,
आदत बनी
एकांत लगा भाने
आहट भी ना कोई ।
2
कैसी दुविधा ?
ना है दिल को चैन
नींद आँखों से उड़ी,
हैं लंबी रातें
आँसू नेत्रों से झरे
टूटी सब आशाएँ
3
दूरी तुम्हारी
सूनी हुई बगिया
मुरझाये से फूल,
धरती सूखी
घास हुई  कँटीली
बादल गए रूठ ।
4
साथ था तेरा
पथ लगा सुगम
छूटा जबसे हाथ,
तम ही तम
ढूँढती उजियारा
पाई न सफ़लता ।   
-0-
सविता अग्रवाल 'सवि' कैनेडा 

17 टिप्‍पणियां:

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

नेह के नाते....क्यों संग रुलाते, बहुत सुंदर अभिव्यक्ति मंजूषा जी, आपको बधाई!
दूरियाँ हुई...आदत बनी, बहुत सुंदर भाव, आपको बधाई सविता जी!

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

मंजूषा जी बहुत सुन्दर तांका ...पीर गाथा सुनाते/संग में रुलाते | बधाई हो | मेरे सेदोका को पत्रिका में स्थान देने के लिए भाई काम्बोज जी का हार्दिक धन्यवाद | प्रीती जी आपका भी दिल से धन्यवाद |

Jyotsana pradeep ने कहा…

प्रेम की पीड़ा और अकेलेपन की सूनी गाथा सुनाते ताँका,
सेदोका.. बेहद ख़ूबसूरत हैं l

नेह के नाते
तुम्हें कैसे बताते
बीती थी क्या क्या
पीर गाथा सुनाते
क्यों संग में रुलाते?
और
साथ था तेरा
पथ लगा सुगम
छूटा जबसे हाथ,
तम ही तम
ढूँढती उजियारा
पाई न सफ़लता
ख़ूबसूरत और भावपूर्ण सृजन के लिए मन जी और सविता जी को हार्दिक बधाई!

Sudershan Ratnakar ने कहा…

प्रेम की पीड़ा की सुंदर अभिव्यक्ति ।बहुत बढ़िया ताँका
अकेलापन के दंश का मार्मिक चित्रण दर्शाते बहुत सुंदर सेदोका । सविता जी , मंजूषा जी आप दोनों को उम्दा सृजन के लिए हार्दिक बधाई

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

पीड़ा पर अद्भुत सृजन. सविता जी और मंजूषा जी को बहुत बधाई.

Dr. Purva Sharma ने कहा…

सुंदर सृजन
मंजूषा जी एवं सविता जी बधाइयाँ

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन...मंजूषा जी, सविता जी आप दोनों को बहुत बधाई।

मंजूषा मन ने कहा…

भावपूर्ण और बहुत सुंदर सेदोका सविता जी

मंजूषा मन ने कहा…

बहुत बहुत आभार प्रीति जी

मंजूषा मन ने कहा…

हार्दिक आभार आपका सविता जी

मंजूषा मन ने कहा…

बहुत बहुत आभार ज्योत्स्ना जी

मंजूषा मन ने कहा…

सादर आभार आपका सुदर्शन दीदी

मंजूषा मन ने कहा…

हार्दिक आभार जेन्नी जी

मंजूषा मन ने कहा…

बहुत बहुत आभार पूर्वा जी

मंजूषा मन ने कहा…

बहुत बहुत आभार कृष्णा जी

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

ज्योत्स्ना जी, सुदर्शन जी, पूर्वा शर्मा जी,जेन्नी जी, कृष्णा जी और मंजूषा जी आप सभी का ह्रदय से आभार |

Unknown ने कहा…

As reported by Stanford Medical, It's really the one and ONLY reason women in this country live 10 years more and weigh 19 KG lighter than us.

(And by the way, it is not related to genetics or some secret diet and really, EVERYTHING related to "how" they are eating.)

BTW, What I said is "HOW", and not "what"...

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