सोमवार, 27 दिसंबर 2021

1016

राजेन्द्र वर्मा

1

पौ फट रही,

गुलाबी होते जाते

उषा के गाल,

सरका मुख-पट

झाँकने लगा सूर्य ।

 2

दुःख टँगा है

देह-अलगनी पे,

मन है खाली ।

रिश्तों के मेघ झरें,

टपके सूनापन ।

 3

मेघ झरते

रिमझिम-रिमझिम

एक लय में,

बज रहा सितार,

मुग्ध रविशंकर !

 4

चटख धूप,

घर से निकली है

वीर बहूटी।

लाल दुशाला डाले

कौन देश को जाती ?

  5

पवन नाचा,

गा उठा नरकुल,

बँसवार भी ।

बज रही बाँसुरी

तुम भी सुनोकृष्ण !

 6

टूट के गिरी

एक और पंखुरी,

फूल बेबस ।

भौंरा भी लौट गया

गुनगुन करता ।

 7

दुनियावालो !

मुझे भी तो जीने दो’’

पेड़ ने कहा ।

सुनता नहीं कोई,

हर कोई बहरा !

 8

कब चेतोगे?

कटते जाते पेड़

दिन-पे-दिन,

बनती जाती पृथ्वी

पुनः आग का गोला !

 9

बाग़ उजड़े,

उगी है बोनसाई

फ़्लॉवर-पॉट् में ।

कोई बतलाओ भी,

कहाँ जाए चिड़िया ?

 10

कुक् ! कुक्कुड़ू कूँ !!

कुक्कुट ने दी बाँग,

जगा औचक,

देखापाँच बजे थे,

पाँच जून भी आज ।

 11

घर से दूर

हॉस्टल का जीवन

मेस का खाना,

रोटी का इन्तज़ार,

आ ग माँ की याद !

 12

गाँठ बाँधे है

इमली का चूरन

इमरतिया,

बँधा रही ढाँढस

मिचलाते मन को ।

 13

गिरते बचा

मुँडेर पर काक

ढेला खाकर,

सँभलाउड़ चला

दे ही गया संदेशा !

 14

एक्सीडेंट हुआ,

सिर से बहा ख़ून,

रुकी न कार,

उमड़ा फ़ुटपाथ,

बाक़ी है अभी जान ।

 15

चाय पिलाए,

जूठे कप भी धोये

मन का सच्चा !

हमें भी बतलाना

ऐसा ही कोई बच्चा ।

 

11 टिप्‍पणियां:

भीकम सिंह ने कहा…

राजेंद्र वर्मा जी को बेहतरीन ताँका रचने के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ ।

Ravindra Singh Yadav ने कहा…

नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (27-12-2021 ) को 'चार टके की नौकरी, लाख टके की घूस' (चर्चा अंक 4291) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

#रवीन्द्र_सिंह_यादव

बेनामी ने कहा…

बेहतरीन ताँका के लिए आदरणीय राजेन्द्र वर्मा जी को हार्दिक बधाई।

सादर 🙏🏻

Anima Das ने कहा…

सर्वोत्तम ताँका के लिए आद. राजेंद्र जी को हार्दिक बधाई एवं अशेष शुभकामनाएँ 💐🌹🙏

Sudershan Ratnakar ने कहा…

बाग़ उजड़े,

उगी है बोनसाई
एक से बढ़कर एक सभी ताँका बहुत सुंदर। बधाई

फ़्लॉवर-पॉट् में ।

कोई बतलाओ भी,

कहाँ जाए चिड़िया ?

दिनेश चंद्र पांडेय ने कहा…

सुंदर तांका रचनाएं. हार्दिक बधाई.

Ramesh Kumar Soni ने कहा…

बेहतरीन ताँका की एक रैली है आपके संग्रह में अभी इसे बाँच रहा हूँ।
इस पटल की शोभा बढ़ गयी, इन ताँका से।
बधाई।

शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…

वाह,हर ताँका एक कथा सी बाँचता है,लघु कलेवर में विस्तृत कैनवास समेटे बेहतरीन ताँका हेतु राजेन्द्र वर्मा जी को बधाई।

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

एक से बढ़कर एक ताँका, बधाई आदरणीय!

Krishna ने कहा…

बहुत उम्दा ताँका...बहुत-बहुत बधाई।

सविता अग्रवाल 'सवि' ने कहा…

राजेन्द्र वर्मा जी के सभी तांका बहुत सुन्दर हैं हार्दिक बधाई |