शुक्रवार, 22 मार्च 2024

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1-चोका/  कृष्णा वर्मा  

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लेपा तन पे 

केसर औ गुलाल 

तन पलाश 

मन महुआ फूल 

फगवा धूम 

फिर रंगों की धूल 

मादक हुई 

महुआ औ मंजरी 

गंध समीर 

नाचे- झूमे भँवरे 

मन अधीर 

रंग मचाए शोर 

बहकी चाल 

एक ताल में गूँजा 

गलियों फाग 

भौरे भैरव राग 

गूँजे मंजीरे 

नैन पिचकारियाँ 

भावों के रंग 

आँधी चली गुलाल 

मिटे मन मलाल। 

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2-माहिया/ मंजूषा मन

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मैं बाट तकूँ तेरी

तुझसे मिलकर ही

हर चाह मिटे मेरी। 

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6 टिप्‍पणियां:

Rashmi Vibha Tripathi ने कहा…

बहुत सुंदर।
हार्दिक बधाई आदरणीया कृष्णा दीदी और मंजूषा जी को

सादर

dr.surangma yadav ने कहा…

अति सुन्दर। रचनाकार द्वय को बहुत-बहुत बधाई।

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

सुंदर भावपूर्ण चोका एवं माहिया !

~सादर
अनिता ललित

Sonneteer Anima Das ने कहा…

वाह्ह... अत्यंत सुंदर सृजन 🙏🏻😊😊बधाई आप दोनों को... सादर 🙏🏻

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर माहिया...मंजूषा जी को बहुत बधाई।

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

वाह! चोका और माहिया बहुत मनभावन. कृष्णा जी एवं मंजूषा जी को बधाई.