गुरुवार, 4 अप्रैल 2024

1169-मधुमास

 सुदर्शन रत्नाकर

 


महका बौर

आया जो मधुमास

कोयल कूकी

बही आम्र- बयार

धरा महकी

लगा रंगों का मेला

पावन -बेला

इत्र-रची हवाएँ

मन लुभाएँ

महकती दिशाएँ

लोभ में डूबे

मधुप मँडराएँ

प्रेम में पगे

पराग-कण खाएँ

फूलों के संग

करें अठखेलियाँ

प्राण गँवाएँ

तितलियों ने

फूलों पे डाला डेरा

 


हो जातीं एक

है मिलन अनोखा

मादक ऋतु

पक्षियों ने बना

घोंसले न

कलाकारी अजब

नए परिंदे

उड़ेंगे आकाश में

एक नई आस में।

-0-

ई-29,नेहरू ग्राउंड, फ़रीदाबाद 121001

7 टिप्‍पणियां:

भीकम सिंह ने कहा…

बहुत सुंदर चोका, हार्दिक शुभकामनाऍं।

बेनामी ने कहा…

धन्यवाद भीकम सिंह जी

Rashmi Vibha Tripathi ने कहा…

बहुत सुंदर चोका।
आदरणीया रत्नाकर दीदी को हार्दिक बधाई।

सादर

Krishna ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत चोका...हार्दिक बधाई आदरणीया दी।

बेनामी ने कहा…

रश्मि जी, कृष्णा वर्मा जी स्नेहिल आभार।सुदर्शन रत्नाकर

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

मनमोहक चोका। हार्दिक बधाई रत्नाकर दीदी।

बेनामी ने कहा…

हार्दिक आभार जेन्नी जी।सुदर्शन रत्नाकर