4-ज्योतिर्मयी पन्त
बन्द किताब
बन्द किताब
१
बन्द किताब
छुपे पन्नों में स्मृति
शुष्क गुलाब
रेखांकित पंक्तियाँ
खुले उमड़ें ज्वार
३
छुपे पन्नों में स्मृति
शुष्क गुलाब
रेखांकित पंक्तियाँ
खुले उमड़ें ज्वार
३
बन्द किताब
संकोच भरा मित्र
खुले अगर
पढूँ प्रत्येक पन्ना
सच्चा साथी अपना ।
४
संकोच भरा मित्र
खुले अगर
पढूँ प्रत्येक पन्ना
सच्चा साथी अपना ।
४
बन्द किताब
जैसे रूठी प्रेमिका
अन्दर क्या है?
जाने ,पर बाँचे ना
शब्द मूक भावना ।
-0-
खुली किताब
१
जैसे रूठी प्रेमिका
अन्दर क्या है?
जाने ,पर बाँचे ना
शब्द मूक भावना ।
-0-
खुली किताब
१
खुली किताब
माँ -बाबा उपदेश
नित्य पठन
तब मन भाए ना
अब पछताए ना?
२
माँ -बाबा उपदेश
नित्य पठन
तब मन भाए ना
अब पछताए ना?
२
खुली किताब
तेरा -मेरा जीवन
अक्षर प्रेम
समझ ना पाए क्यों ?
अर्थ उलझे सदा ।
-0-
तेरा -मेरा जीवन
अक्षर प्रेम
समझ ना पाए क्यों ?
अर्थ उलझे सदा ।
-0-
5-अमिता कौण्डल
1-बंद किताब
1
बंद किताब
ये मन है तुम्हारा
जो खोलो इसे,
तो पाओगे अनेकों
रंग और खुशियाँ
2
बंद किताब
रहे सदा ग़मों की
खुल जो गई
तो दु:खी जग होगा
और हम मुज़रिम
3
बंद किताब
समेटे रहती है
ज्ञान ही ज्ञान
खुले तो यह बाँटे
खाली न हो फिर भी
4
बंद किताब
ढेरों सवाल लिये
जो खुल जाती
तो पाती जबाब मैं
तुम्हारी खुशियों का
5
दिल न रखो
ये बंद किताब -सा
खोल दो इसे
पढ़ पाएँ हम भी
ये तड़प तुम्हारी
-0-
2-खुली किताब
1
खुली किताब
जीवन यह मेरा
पढ़ न पाए
चाहकर भी तुम
बंद रखी हैं आँखें.
2
खुली किताब
यह प्रेम -सरिता
न बाँधों इसे
हकों के बंधन में
फर्जों की लड़ियों में
3
खुली किताब
जब मेरे जख्मों की
नक्श तेरा था
हरसूँ पिया तुझे
हर पल है जिया
-0-
1 टिप्पणी:
bahut khoobsurat .......khuli kitab . sabhi acche hai . sabhi ko badhai .
एक टिप्पणी भेजें