रविवार, 12 फ़रवरी 2012

फूलों की कशीदाकारी -वसन्त

वसन्त के आगमन पर प्रकृति में नवसृजन का उत्सव प्रारम्भ हो उठता है । नई उमंग की एक लहर सी उमगने लगती है । आओ ऋतुराज वसन्त का प्रकृति के संग हम भी स्वागत करें !
रामेश्वर कम्बोज 'हिमांशु ' ; डॉ .हरदीप कौर सन्धु




                                                                                 डॉ . हरदीप सन्धु 
डॉ. हरदीप कौर सन्धु 

4 टिप्‍पणियां:

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत....लाजवाब..

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर और सार्थक रचनाएँ!

सहज साहित्य ने कहा…

हरदीप जी आपने सभी हाइगा में चटकीला रंग भर दिया है । अन्तिम हाइगा में वसन्त का खिड़की खोलना नई उद्भावना है । और यह खिड़की कोयल के बोलने पर ही खुल रही है । बहुत सुन्दर और मोहक भाव राशि!बहुत बधाई !

Dr.Anita Kapoor ने कहा…

सभी हाइकू बसंती है....रंग बिरंगे से .....बधाई