डॉoज्योत्स्ना शर्मा
1
रुत ये वासंती है
चरणों में हमको
ले लो ये विनती है ।
2
दो बूँद दया बरसे
हम भी हैं तेरे
फिर कौन भला तरसे ।
3
दिल मेरा तोड़ो ना
छलिया ये दुनिया
छलिया ये दुनिया
तनहा मुझे छोडो़ ना ।
4
देरी से आना हो
आकर जाने का
कोई न बहाना हो ।
5
सुख- दुख में साथ रहे
सबके शीश सदा
माँ तेरा हाथ रहे ।
-0-
( सभी चित्र गूगल से साभार)
11 टिप्पणियां:
nice
वाह, ज्योत्सना जी सुंदर ...अति सुंदर माहिया !
प्रत्येक क्षणिका बहुत सुंदर .....!!
शुभकामनायें ...
भाई वाह अंतिम माहिया तो गहरे तक उतर गया वाह .....
बहुत खूबसूरत।
कृष्णा वर्मा
माहिया अच्छे हैं. आपने त्रिवेणी में माहिया को भी शामिल करके अच्छा किया.
बहुत सुन्दर...
Bahut khub,maa tera haath rahe--dil ko chho leti hai.sabhi mahiya samvedan se samprikt hain,badhayi.
सुंदर माहिया !
सुन्दर शब्दों के साथ प्रोत्साहन देने के लिये आपका हृदय से धन्यवाद....स्नेह भाव सदा बनाये रखियेगा....सादर...ज्योत्स्ना
अत्यन्त सुन्दर भाव से परिपूर्ण |
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