रविवार, 6 मई 2012

दो बूँद दया बरसे


डॉoज्योत्स्ना शर्मा
1
रुत ये वासंती है
चरणों में हमको 
ले लो ये विनती है ।

2
दो बूँद दया बरसे
हम भी हैं तेरे 
फिर कौन भला तरसे ।

3
दिल मेरा तोड़ो ना
छलिया ये दुनिया
तनहा मुझे छोडो़ ना ।





4
देरी से आना हो
आकर जाने का
कोई  न बहाना हो  ।

5
सुख- दुख में साथ रहे
सबके शीश सदा
माँ तेरा हाथ रहे ।
-0-

( सभी चित्र गूगल से साभार)

11 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

nice

Dr.Saraswati Mathur ने कहा…

वाह, ज्योत्सना जी सुंदर ...अति सुंदर माहिया !

Anupama Tripathi ने कहा…

प्रत्येक क्षणिका बहुत सुंदर .....!!
शुभकामनायें ...

Anant Alok ने कहा…

भाई वाह अंतिम माहिया तो गहरे तक उतर गया वाह .....

बेनामी ने कहा…

बहुत खूबसूरत।
कृष्णा वर्मा

उमेश महादोषी ने कहा…

माहिया अच्छे हैं. आपने त्रिवेणी में माहिया को भी शामिल करके अच्छा किया.

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत सुन्दर...

बेनामी ने कहा…

Bahut khub,maa tera haath rahe--dil ko chho leti hai.sabhi mahiya samvedan se samprikt hain,badhayi.

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

सुंदर माहिया !

ज्योत्स्ना शर्मा ने कहा…

सुन्दर शब्दों के साथ प्रोत्साहन देने के लिये आपका हृदय से धन्यवाद....स्नेह भाव सदा बनाये रखियेगा....सादर...ज्योत्स्ना

अनिल कुमार शर्मा ने कहा…

अत्यन्त सुन्दर भाव से परिपूर्ण |