[आज त्रिवेणी में डॉ. हरदीप कौर संधु के हिन्दी माहिया दिए जा रहे हैं । इस छन्द में गेयता प्रमुख है , अत: कभी -कभी कुछ लोग गुरु मात्रा को दबाकर लघु रूप में भी उच्चरित किया जाता है । हम इससे पूर्णतया सहमत नहीं हैं। इस छन्द में पहली और तीसरी पंक्ति में 12 -12 मात्राएँ तथा दूसरी पंक्ति में 10 मात्राएँ होती हैं । पहली और तीसरी पंक्ति तुकान्त होती है । ]
प्रस्तुति :-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
प्रस्तुति :-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
1.
आवाज़ न आती
दर्द बहुत होता है ।
2
आँखों में पानी है
बिन कुछ भी बोले
कह रही कहानी हैं ।
3
बादल से जल बरसे
तन तो भीग गया
4
जिन्दगी अधूरी है
दो पल जीवन में
हँसना भी जरूरी है ।
5
आँख खुली ,देखा
कौन यहाँ अपना है ।
6
घर जो यह तेरा है
नाज़ुक शीशे का
इक रैन बसेरा है ।
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5 टिप्पणियां:
आभार ||
बहुत सुंदर ...एक और नयी विधा का पता चला
वाह बहुत सुंदर ...बधाई |
सुंदर और सार्थक...लयबद्ध रचना!
पंजाबी की विधा का हिंदी में शानदार प्रयोग
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