गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

ताज़ा खबर

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा :सेदोका
1
मुख पे डाले
तुहिन आवरण
धरा ,कैसी लजाए !
किरण-कर
दिनकर छूकर
यूँ घूँघट हटाए !
2
सखी देख तो
शुभ्र ,सुहानी धूप
रूप चंद्रिका -सा ,ले
यहाँ आ गई
आँगन मेरे बैठी
लगती है अनूप ।
3
ताज़ा खबर
सूरज पे बरसा
कुहर का कहर
हवा गई
ले ,जल की बौछार
कुहर गया हार !

-0-
कृष्णा वर्मा
1
आसमान ने
भरीं जो सर्द आहें
जमा लोक-जहान
काँपा ह्रदय
अवनि पर्वत का,
नदी- ताल निष्प्राण
2
लटका पाला
सिकुड़ गए दिन
सर्दी की आततायी
धूप कुन्दनी
बेबस हुई दीखे
ज्यों कृश परछाई
3
सूनी डाँड पे
भाग रहे हैं पाँव
क्षितिज पार बसे
रवि के गाँव
घनी धुं में खड़ी
जमें रश्मि के पाँव।
4
कानन- झीलें
अँधियारे में खोईं
कोहरे में हवाएँ
पगडंडी भी
डर छिपी धुँध में
कैसे घर को जाएँ?
5
शांतमना- सी
पगडंडी है लेटी
चुप­­- सी हवा खड़ी
जाड़े ने ताड़ा
चुप्पी छाई हाट में
शांत है हड़बड़ी।
6
ठगा भोर ने
सूरज लुका कहाँ
ओढ़ी धुँध- रजाई
म्पि धरा
बावरे गगन ने
तुषार बरसाया
7
निर्बाध फिरें
बर्फीली हवाएँ ये
सीटियाँ बजातीं-सी
झूमकरके
अपनी आज़ादी का
देखो जश्न मनातीं।
-0-




3 टिप्‍पणियां:

pardeepsharma ने कहा…

man ko choone waie ...sunder sedoka....jyotsna ji ,krishna ji ko badhai

ज्योति-कलश ने कहा…

bahut bahut aabhaar sampaadak dway rachanaon ko sthaan dene ke liye tathaa pradeepsharma ji ke prati utsaah vardhak upasthiti hetu .

saadar
jyotsna sharma

ज्योति-कलश ने कहा…

sabhii sedoka mohak Krishna ji ..
ठगा भोर ने
सूरज लुका कहाँ
ओढ़ी धुँध- रजाई
कम्पित धरा
बावरे गगन ने
तुषार बरसाया।...bahut sundar ...badhaai aapko !