गुरुवार, 26 दिसंबर 2013

अतीत के पन्ने

डॉ जेन्नी शबनम

याद दिलाए
अतीत के जो पन्ने 
फड़फड़ाए
खट्टी-मीठी-सी यादें
पन्नों से झरे 
इधर- उधर को
बिखर गए
टुकड़ों-टुकड़ों में,
हर मौसम
एक-एक टुकड़ा
यादें जोड़ता
मन को टटोलता
याद दिलाता
गुज़रा हुआ पल
क़िस्सा बताता,
दो छोर का जुड़ाव
नासमझी से
समझ की परिधि
होश उड़ाए
अतीत को सँजोए,
बचपन का
मासूम वक़्त प्यारा
सबसे न्यारा
सबका है दुलारा,
जुनूनी युवा
ज़रा मस्तमौला-सा
आँखों में भावी
बिन्दास है बहुत,
प्रौढ़ मौसम
ओस में है जलता
झील गहरा
ज़रा-ज़रा सा डर
जोशो-जुनून
चेतावनी-सा देता,
वृद्ध जीवन
कर देता व्याकुल
हरता चैन
मन होता बेचैन
जीने की चाह
कभी मरती नहीं
अशक्त काया
मगर मोह -माया
अवलोकन
गुज़रे अतीत की
कोई जुगत
जवानी को लौटाए
बैरंग लौटे
उफ़्फ़ मुआ बुढ़ापा
अधूरे ख़्वाब
सब हो जाए पूर्ण
कुछ न हो अपूर्ण !
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2 टिप्‍पणियां:

ज्योति-कलश ने कहा…

स्मृतियों की सुन्दर यात्रा कथा है ....खूबसूरत अभिलाषा के साथ ...
अधूरे ख़्वाब
सब हो जाए पूर्ण
कुछ न हो अपूर्ण !......शुभ कामनाएँ !

Jyotsana pradeep ने कहा…

bade hi pyaara choka likha h aapne....unda lekhan.....badhai