रविवार, 15 जुलाई 2018

817- ओ ! माँ.आद्या प्रकृति


13 टिप्‍पणियां:

Satya sharma ने कहा…

बहुत ही उम्दा चोका कविता जी
आपकी लेखनी से निकला एक और अद्भुत सृजन
हार्दिक बधाई

रश्मि शर्मा ने कहा…

बहुत सुंदर चोका कविता जी। हार्दिक बधाई

Unknown ने कहा…

शब्द चयन और भावों का गंथन अति सुन्दर ।सिद्ध लेखनी का कमाल ।हार्दिक बधाई कविता जी ।

Shiam ने कहा…

कविता "माँ" रचना में एक आवाज़ सुनाई देती है "माँ " की | इसमें स्पष्ट झलकती है माँ की परछाईं | पढ़ते -पढ़ते मेरी भी आँखें भर आयीं क्योंकि आपकी कविता ने ऎसी आवाज़ सुनाई | अत्यंत मार्मिक और ममत्वपूर्ण है | हृदय से बधाई - श्याम हिन्दी चेतना |

नीलाम्बरा.com ने कहा…

हार्दिक आभार आप सभी का। स्नेह बनाये रखिएगा भविष्य में भी।

Anita Manda ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन। बधाई कविता जी

ज्योति-कलश ने कहा…

सुन्दर सृजन की हार्दिक बधाई कविता जी !

Kamlanikhurpa@gmail.com ने कहा…

बधाई कविताजी
नूतन विषय
बहुत सुन्दर लिखा है

rameshwar kamboj ने कहा…

ओ माँ आद्या प्रकृति वैदिक ॠचाओं का स्मरण कराती है। यह चोका आद्यन्त सरस प्रवाह में अवगाहन कराने में सक्षम है। बहुत बधाई कविता जी ।

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

sundar!

Jyotsana pradeep ने कहा…

बहुत प्यारे सृजन की हार्दिक बधाई कविता जी !

नीलाम्बरा.com ने कहा…

हार्दिक आभार आप सभी स्नेहीजन का।

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत प्यारा चोका...हार्दिक बधाई...|