शुक्रवार, 20 जुलाई 2018

819-रस के लोभी

डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा 
1
रस के लोभी
भँवरे मँडराते
चतुर कली
देख-देख  मुस्काए
पर हाथ न आए ।
2
सागर हुआ
मिलने को बेकल
धीमे-धीमे ही
बहती कल-कल
कहती रही.... कल !
3
चाहें तुम्हें,ये
बताया ही न गया
लाज घूँघट
चाहके भी उनसे
हटाया ही न गया !
4
बड़ी बेदर्द
सावन की झड़ी है
उषा- सुंदरी
मिलने सजन से
बेकल- सी खड़ी है  !
5
मिलने आया
द्युतिमान सूरज
उषा मुस्काए
बैरिन है बदली
झट चुरा ले जाए ।
6
ढोल-नगाड़े
बजा रहा सावन
नाचे बरखा
कहीं उगे सपने
कहीं डूबा है मन !
7
भरा-भरा है !
रातभर सावन
क्यों रोता रहा !
भला दर्द किसका
मन भिगोता रहा
!

15 टिप्‍पणियां:

Shiam ने कहा…

ज्योत्स्ना जी नमस्कार,
आपकी रचना पढते ही श्रंगार उमड पड़ता है, इस मधुर कल्पना में सौन्दर्य बरसता है ||युग -युग जियो !
श्याम त्रिपाठी -हिन्दी चेतना

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

Bahut bhavpurn rachna bahut bahut badhai

ज्योति-कलश ने कहा…

उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आदरणीय त्रिपाठी जी एवं डॉ. भावना जी के प्रति हृदय से धन्यवाद , आपके बोल नव लेखन की प्रेरणा हैं |

'त्रिवेणी' में स्थान देने के लिए सम्पादक द्वय के प्रति भी हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ |

Satya sharma ने कहा…

बहुत ही सुंदर और उम्दा रचनाएँ
बहुत बहुत बधाई ज्योत्स्ना जी

Anita Manda ने कहा…

मधुरम् मधुरम्
वाह, अच्छे भाव पिरोये हैं।

भावना सक्सैना ने कहा…

बहुत सुंदर ताँका ज्योत्सना जी। सब एक से बढ़कर एक।

मिलने आया
द्युतिमान सूरज
उषा मुस्काए
बैरिन है बदली
झट चुरा ले जाए ..... अनुपम

Jyotsana pradeep ने कहा…

बहुत सुन्दर लिखा ज्योत्स्ना जी.. .हृदय तल से बधाई !

anil kumar sharma ने कहा…

Beautiful

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत सुंदर ताँका हैं सभी...हार्दिक बधाई...|

Vibha Rashmi ने कहा…

बरखा ऋतु पर बेहतरीन व मधुर ताँका रचनाओं के लिये बहुत बधाई लो । स्नेहाशीष ।

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

बहुत सुन्दर और प्यारा प्यारा ताँका, बहुत बधाई.

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर तांका ज्योत्स्ना जी हार्दिक बधाई।

ज्योति-कलश ने कहा…

आदरणीया कृष्णा दीदी , डॉ. जेन्नी जी , विभा दीदी , प्रियंका जी , अनिल जी , ज्योत्स्ना प्रदीप जी , भावना जी , अनिता जी , सत्या जी आपकी प्रेरक उपस्थिति के लिए हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ !

इस स्नेह की सदैव कामना के साथ
ज्योत्स्ना शर्मा

सहज साहित्य ने कहा…

सरस,सुमधुर रचना

ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत आभार आपका !

सादर
ज्योत्स्ना शर्मा