1-वर्षा
डॉ जेन्नी शबनम
1
तपती धरा
बदरा छाए
घूम -घूम गरजे
मन का भौंरा नाचे।
2.
कूकी कोयल
नाचे है पपीहरा
देख बदरा
चहके है बगिया
नाचे घर अँगना।
3.
ओ रे बदरा
कितना तड़पाया
अब तू माना
तेरे बिना अटकी
संसार की मटकी।
4.
गाए मल्हार
घनघोर घटाएँ
नभ मुस्काए
बूँदें खूब झरती
रिमझिम फुहार।
5.
बरसा पानी
याद आई है नानी
है अस्त व्यस्त
जीवन की रफ्तार
जलमग्न सड़कें।
6.
पौधे खिलते
किसान हैं हँसते
वर्षा के संग
मन मयूरा नाचे
बूँदों के संग-संग।
7.
झूमती धरा
झूमता है गगन
आई है वर्षा
लेकर ठंडी हवा
खिल उठा चमन।
8.
घनी प्रतीक्षा
अब जाकर आया
मेघ पाहुन
चाय संग पकौड़ी
पहुना संग खाए।
9.
पानी बरसा
झर-झर झरता
जैसे झरना,
सुन मेरे बदरा
मन हुआ बावरा।
10.
हे वर्षा रानी
यूँ रूठा मत करो
आ जाया करो
रवि से लड़कर
बरसो जमकर।
-0-
2-हमसफ़र
आनन्द रोहिला
1
हमने बोए
बीज मधु-प्रेम के
पर ना उगे,
तू रहा बेखबर
मेरे हमसफर ।
2
ढूँढती फिरूँ
दिनभर बाट में
फर्क न पड़ा ,
रही दरबदर
मेरे हमसफर ।
3
रोए कलियाँ
भँवरे चले गए
तेरी तरह,
धुँधलाई डगर
मेरे हमसफ़र ।
4
भरी गलियाँ
है सुनसान रास्ते
तू दिखा नहीं ,
ये हर्षाए नगर
मेरे हमसफ़र ।
5
माघ किरण
बहे ठंडी पवन
न शांत करे,
ये देख मेरा हश्र
मेरे हमसफ़र ।
-0- आनन्द रोहिला,गाँव व डाकघर–अमीन,जिला -कुरुक्षेत्र ,तहसील - थानेसर चलभाष 9050630925
8 टिप्पणियां:
वर्षा ऋतु का इतना सुंदर सजीव .मनभावन चित्रण कि मन आनन्द की बूँदों से नहा लिया। हार्दिक बधाई जेन्नी जी।
सभी ताँका भावपूर्ण सुंदर । बहुत बहुत बधाई आनन्द रोहिला जी
सभी ताँका सुंदर व भावपूर्ण।
दोनों रचनाकारों को बधाई।
सादर,
भावना सक्सैना
वर्षा ऋतु का मनभावन चित्रण ।बधाई जेन्नी शबनम जी।
आनंद रोहिला जी ने प्रेम की पीड़ा का भावपूर्ण अंकन किया है।बहुत सुन्दर ।बधाई ।
तेरे बिना अटकी
संसार की मटकी
वाह अति सुंदर जेन्नी जी
आनंदजी की रचना के भाव गहन
दोनों कवियों को बधाई
बहुत सुन्दर रचनाएँ...| हार्दिक बधाई...|
बहुत सुंदर भावपूर्ण रचनाएँ। आप दोनों रचनाकारो को बहुत बधाई।
सभी ताँका बेहद प्यारे व भावपूर्ण....
दोनों रचनाकारों को हार्दिक बधाई !!
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