1-डॉ. सुरंगमा यादव
1
ये प्रीत पुरानी है
अधरों पर फैली
मुसकान निशानी है।
2
चंदा जब आता है
रह-रह कर मन में
इक हूक उठाता है।
3
जन्मों के नाते हैं
जब तुमको देखूँ
नैना सुख पाते है।
4
पाया तुमको जब से
भाग्य बड़ा अपना
प्यारा लगता तब से।
5
अब दूर न जाएँगे
सुख-दुःख जीवन के
हम संग उठाएँगे।
6
रीता मन का प्याला
तुमने पल भर मे
प्रेम-सुधा भर डाला।
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13 टिप्पणियां:
प्रेम-सुधा भर डाला
कितने सुंदर माहिये हैं। बधाई।
बेहद सुन्दर माहिया!
हार्दिक बधाई आदरणीया!
सादर
सुंदर माहिया , बधाई ।
बहुत प्यारी रचनाएं
बहुत सुंदर माहिया । हार्दिक बधाई डॉ.सुरंगमा जी ।
बेहद खूबसूरत माहिया सुरँगमा जी, बड़ा आनन्द आया..रीता मन का प्याला, प्रेम-सुधा भर डाला!!....
सभी माहिया बहुत सुंदर,मधुरता से परिपूर्ण।हार्दिक बधाई डॉ. सुरंगमा जी।
हृदयतल से आप सभी का आभार ।काम्बोज भैया रचनाएँ प्रकाशित करके सदैव प्रोत्साहित करते हैं मैं पुनः पुनः आभारी हूँ ।
सुंदर भावपूर्ण माहिया
हार्दिक बधाइयाँ सुरंगमा जी
बहुत ख़ूबसूरत माहिया...हार्दिक बधाई सुरंगमा जी।
सुंदर माहिया सुरंगमा जी। बधाई
भावना सक्सैना
बहुत सुंदर तथा भावपूर्ण माहिया !
हार्दिक बधाई सुरंगमा जी !
भावप्रवण माहिया के लिए बहुत बधाई
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