बुधवार, 19 अक्टूबर 2022

1082-दुआओं का शजर!

 सेदोका- रश्मि विभा त्रिपाठी



निगल लेती
कड़ी धूप कब की
सरेराह मगर
सफर में है
सायादार उसकी-
दुआओं का शजर!
2
तपे ख़्वाबों की
आँखों में थी फ़क़त
सुलगती आतिश!
तुम आए तो!!
मुकम्मल हो गई
जिन्दगी की ख़्वाहिश।
3
तुमने सदा
मुझ पर अपना
यों ही प्यार लुटाया!
जैसे बच्चे के
सर पर होता है
एक पिता का साया!!
4
दोपहर की
खरी धूप से अब
किसलिए डरना?
तुम्हारा काम
दुआ के दरख़्त को
हरा- भरा करना!!!
5
जब भी गिरी
बढ़ाया मेरा मान
हाथ थामकरके!
आसमाँ तक
तुम्हारी शय से ही
मैं भरती उड़ान!!
6
तुमसे मिला
जो ये चमचमाता
प्यार का सच्चा मोती!
किसी शय को
पाने की अब कभी
ख़्वाहिश नहीं होती!!
7
इंद्रधनुष से
लेकर मुझे सौंपे
तुमने सारे रंग!
सचमुच ही
मैं धन्य हूँ कि मैंने
पाया तुम्हारा संग।
8
कभी जरा- सा
पल भर को मेरा
जी उदास हो गया!
छिड़कके वो
आशीष के जल को
मेरी पीड़ा धो गया!!
9
तुम्हारी याद
सचमुच ही मानो
संजीवनी- सी बनी
हर लेती है
पल में झटपट
प्राणों की पीड़ा घनी।
10
तिमिर में भी
मिला है मनमीत
तुम्हीं से उजियारा
प्रतीक्षित हूँ
ओ पूनम के चंदा
आ भी जाओ दुबारा।
11
सुनो! वाकई
तुम्हारी छुअन में
गजब की है शफ़ा!
गले लगके
तुमने कर दिया
हर दर्द को दफा!!

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13 टिप्‍पणियां:

शिवजी श्रीवास्तव ने कहा…

हर एक सेदोका हृदय को छूता है,भावों के अनुरूप शब्द चयन रश्मि जी की विशेषता है।बधाई रश्मि जी

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर भावपूर्ण सेदोका...बहुत बधाई रश्मि जी।

बेनामी ने कहा…

सेदोका प्रकाशन के लिए आदरणीय सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार।

आदरणीया कृष्णा दीदी एवं आदरणीय शिव जी श्रीवास्तव जी की हृदय तल से आभारी हूँ कि आपको मेरे सेदोका पसंद आए।

सादर

Onkar ने कहा…

बहुत सुंदर

Shantanu Sanyal शांतनु सान्याल ने कहा…

सुंदर रचना।

Anita ने कहा…

पहली बार नाम सुना सेदोका का, सुंदर सृजन

Abhilasha ने कहा…

बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण सृजन

बेनामी ने कहा…

हार्दिक आभार आदरणीय।

सादर

मन की वीणा ने कहा…

भावों से परिपूर्ण सुंदर सेदोका रचनाएं।

Sushila Sheel Rana ने कहा…

बहुत ही भावपूर्ण सेदोका। शिल्प भी उत्तम। बधाई रश्मि जी

Vibha Rashmi ने कहा…

शानदार सेदोका सृजन । हार्दिक बधाई ।

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

बेहतरीन सृजन रश्मि जी!

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

दिल को छू लेने वाले सेदोका रचने के लिए बहुत बहुत बधाई