ताँका-चोका- सेदोका -माहिया-हाइबन
डॉo सुरंगमा यादव
1
कली उदास
बगिया भी चिंतित
घूमते साये
हर ओर उगे हैं
बबूल ही बबूल।
2
गिद्ध करते
उलूकों की पैरवी
न्याय की आस
भटकें पीड़िताएँ
कितनी ही आत्माएँ।
3
हमने लिखी
विनाश की लिपि से
सृजनगाथा!
दरकते भूधर
बाँचें पुकारकर।
-0-
हर ओर उगे हैं/ बबूल ही बबूल। बहुत सुंदर। बधाई। सुदर्शन रत्नाकर
अत्यंत सुन्दर भावपूर्ण सृजन...Mam 🌹🙏
अच्छे ताँका-बधाई। गिद्ध करतेउलूकों की पैरवीन्याय की आसभटकें पीड़िताएँकितनी ही आत्माएँ।
बहुत सुंदर ताँका।हार्दिक बधाई आदरणीयासादर
अच्छे ताँका!~सादरअनिता ललित
बहुत सुंदर ताँका...हार्दिक बधाई!
बहुत सार्थक ताँका, हार्दिक बधाई
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7 टिप्पणियां:
हर ओर उगे हैं/ बबूल ही बबूल। बहुत सुंदर। बधाई। सुदर्शन रत्नाकर
अत्यंत सुन्दर भावपूर्ण सृजन...Mam 🌹🙏
अच्छे ताँका-बधाई।
गिद्ध करते
उलूकों की पैरवी
न्याय की आस
भटकें पीड़िताएँ
कितनी ही आत्माएँ।
बहुत सुंदर ताँका।
हार्दिक बधाई आदरणीया
सादर
अच्छे ताँका!
~सादर
अनिता ललित
बहुत सुंदर ताँका...हार्दिक बधाई!
बहुत सार्थक ताँका, हार्दिक बधाई
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