देतीं गरमाहट
अनिता ललित
मन -आँगन
हो गया सूना -सूना
हुआ उदास
घर का हर कोना
बिटिया गई
अपने घर -द्वारे
छोड़ के पीछे
प्यारी अठखेलियाँ
बीती छुट्टियाँ
घर में रह जाती
यादें ही यादें
कोहरे में घुलती
ओस की बूँदें
फूलों- सी महकतीं
वो प्यारी बातें
गरमाहट देतीं
देतीं संबल
स्नेह से भर देतीं
सर्द दिन को
अनमनी भोर में
अलाव -सी जलतीं।
-0-
13 टिप्पणियां:
अहा! अनमनी भोर में अलाव सी जलतीं .....कितनी सूंदर पंक्ति 👌
बधाई और शुभकामनाएं💐
याद और तन्हाई के अहसास को शब्दों में पिरोया है। अद्भुत
बहुत सुन्दर अंक.. हार्दिक बधाई
बहुत ही सुंदर भावपूर्ण चोका। हार्दिक बधाई अनिता जी। सुदर्शन रत्नाकर
बहुत सुंदर भावपूर्ण चोका।हार्दिक बधाई।
सुन्दर सृजन 🙏🌹आद. Mam 🌹
बहुत ही सुन्दर चोका।
हार्दिक बधाई आदरणीया दीदी 💐🌷🌹
सादर
बहुत सुंदर रचना अनिता जी, आपको ढेरों शुभकामनाएँ!!
अति सुंदर चोका अनिता जी बधाई। सविता अग्रवाल”सवि”
मेरे चोका को यहाँ स्थान देने हेतु संपादक द्वय का हार्दिक आभार!
आप सभी सुधीजनों को चोका पसंद आया, इसके लिए आपका हृदयतल से धन्यवाद एवं आभार!
~सादर
अनिता ललित
बहुत खूबसूरत चोका, हार्दिक शुभकामनाएँ ।
बहुत सुंदर भावपूर्ण चोका।हार्दिक बधाई अनिता जी ।
मन भीग गया , बहुत बधाई
एक टिप्पणी भेजें