शुक्रवार, 20 जनवरी 2023

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1-डॉ भीकम सिंह

 


गाँव - 31

 

कोंपल फूटी

पीपल में फिर से 

आँगन खिला 

किरणों में फिर से 

कोयल कूकी 

फसलों में फिर से 

सारी मुराद

आखिर ले ही आया 

वहीं मौसम 

गाँवों में जैसे-तैसे 

अच्छे दिन फिर से 

-0-

गाँव  - 32

 

पौधों से सब

खेत बात करते 

ना जानें कब

किसी कोने से आती 

छिपी -सी हवा 

फसलों के नीचे ही

सो जाते तब

धीमे से खलिहान 

जागते जब

खेत,धूप पहने 

खड़े हो जाते सब ।

-0-

गाँव- 33

 

गाँव का रंग 

सुनहरा - सा हुआ 

गेंहूँ के पौधा

गर्दन घुमा-घुमा, ज्यों 

गबरू हुआ 

खलिहान देखता 

-से स्वप्न 

आँखें मलता हुआ 

पवन चलें 

फल-वृक्षों की गंध  

ज्यों खसोटता हुआ 

-0-

गाँव- 34

 

सिमटे गाँव 

कुछ गठरियों में 

दरकार है 

रहे अटरियों में 

खेत बेचके 

आये पटरियों में 

दाल मिलाए

सब मरियों में 

ढूँढे आसरा 

ठी मानसून की

फटी छतरियों में 

-0-

गाँव- 35

 

 

खबर लगी 

खेतों को मत बेचो 

छोड़ दो उन्हें  

चुनौतियाँ भी सहो 

कोई तो फिक्र 

उजड़ते गाँव की 

खुशी से दहो 

कोई ठिकाना कहो

भ्रम-कोहरा 

तुम्हारे सामने है 

उसमें मत रहो 

-0-

2-चोका- रश्मि विभा त्रिपाठी 

 


वो लोग खास

आफत में आते थे

दौड़ के पास

कहाँ कर रहे हैं

अब प्रवास

कितनी है तरक्की 

खूब विकास 

भलाई, नेकी को ही

क्यों वनवास 

क्यों इंसानियत ने

लिया संन्या 

लगा- लगाकरके 

रोज क़यास 

खोती जा रही हूँ मैं

अपनी आस

आज की दुनिया में

क्या अहसास 

किसी को है किसी का

या अनायास 

कैसे मिटी है भला

रिश्तों में वह

पहले- सी मिठास 

कौन प्रयास 

यहाँ यह करता

कि आता रास 

सिर्फ अपनापन

न निकालता

आदमी आदमी पे

कोई भड़ास 

न तोड़ता विश्वास 

उतारकर 

बेरुखी का लिबास 

इंसाँ उदास

देखता तो दे देता

उसको हास

डर है कि जब भी

लिखा जाएगा

इन रिश्ते- नातों का

जैसे का तैसा

अगर इतिहास 

देगा बहुत त्रास।

-0-

8 टिप्‍पणियां:

डॉ. पूर्वा शर्मा ने कहा…

सभी चोका कविताएँ बहुत ही बढ़िया

गेंहूँ के पौधा / गर्दन घुमा-घुमा, ज्यों / गबरू हुआ ... बहुत ही सुंदर

भीकम जी एवं रश्मि जी सुंदर सृजन के लिए बधाई

Anita Lalit (अनिता ललित ) ने कहा…

गाँव के ऊपर आदरणीय भीकम सिंह जी के बहुत सुंदर चोका!
रश्मि जी, रिश्तों की मिठास में जब कड़वाहट घुलने लगती है, तो मन भीतर तक कसैला हो जाता है। सुंदर चोका!

~सादर
अनिता ललित

Krishna ने कहा…

बहुत सुंदर सृजन...आप दोनों को हार्दिक बधाई।

प्रीति अग्रवाल ने कहा…

वाह! बेहतरीन चोका रचे है भीकम सिंह जी और रश्मि जी ने, आनन्द आ गया!!

बेनामी ने कहा…

चोका प्रकाशन के लिए आदरणीय सम्पादक द्वय का हार्दिक आभार।
आप सभी आत्मीय जन की टिप्पणी की हृदय तल से आभारी हूँ।

सादर

बेनामी ने कहा…

गाँव पर क।आधारित आदरणीय भीकम सिंह जी के बहुत ही सुन्दर चोका।

हार्दिक बधाई 🌹💐🌷

सादर

Sonneteer Anima Das ने कहा…

अत्यंत भावपूर्ण सार्थक रचनाएँ 🌹🙏नमन आप दोनों की लेखनी को 🌹🙏

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बेहतरीन रचनाओं के लिए बहुत बधाई आप दोनों को