डॉ ज्योत्स्ना शर्मा- शशि पाधा
1
क्या आज हवाएँ हैं
क़ातिल हैं , कितनी
मासूम अदाएँ हैं ।
*
कैसे इतबार करें
कितनी भोली हैं
नैनों से वार करें|
2
वो साथ हमारे हैं
अम्बर फूल खिले
धरती पर तारे हैं।
*
तारों की बात करें
अम्बर की बगिया
फूलों का साथ करें।
3
ख़ुशियाँ तो गाया कर
ज़ख़्मों की टीसें
दिल खूब छुपाया कर ।
*
ज़ख्मों से डर कैसा
जिस घर बसती तू
खुशियों के घर जैसा।
4
सब राम हवाले है,
आँखों में पानी
दिल पर क्यों छाले हैं।
*
आँखों से कह देना
मन की पीड़ा को
बिन बरसे सह लेना।
5
अब क्या रखते आशा
गैरों से समझी
अपनों की परिभाषा ।
*
समझो ना गैर हमें
सच्ची बात कहें
तुमसे ना बैर हमें।
6
मैंने तो मान दिया
क्यों बाबुल तुमने
फिर मेरा दान किया ।
*
बाबुल जो दानी है
रीत निभानी है
वो जग का प्राणी है।
7
मन चैन कहाँ पाए?
इतना बतलाना-
क्यों हम थे बिसराए।
*
यह कैसे जान लिया
प्राणों से प्यारी
बिटिया को मान लिया
8
ये भी तो सच है ना
चाहा हरजाई
यूँ हार गई मैना ।
*
मैना की जीत हुई
हारा हरजाई
उसकी मनप्रीत गई।
9
पीछे कब मुड़ना है
अब परचम अपना
ऊँचे ही उड़ना है ।
*
जो बढ़ने की सोचे
अम्बर उसका है
जो उड़ने की सोचे।
10
छोड़ो भी जाने दो
मन की खिड़की से
झोंका इक आने दो ।
*
खिड़की ना बंद करो
अपनी साँसों में
भीनी सी गंध भरो।
11
हाँ ! घोर अँधेरा है
सपनों में मेरे
नज़दीक सवेरा है।
*
अरुणाई छाई है
नभ की गलियों में
ऊषा सज आई है।
12
सपना जो तोड़ दिया
ज़िद ने हर टुकड़ा
मंज़िल से जोड़ दिया ।
*
सपने तो टूटेंगे
दुःख तो तब करना
जब अपने रूठेंगे।
13
मानी है हार नहीं
तेरा साथ मिला
जीवन अब भार नहीं ।
*
हमने यह जाना है
तेरा साथ हमें
हर वक्त निभाना है।
14
ख़ुद को पहचान मिली
बंद - खुली पलकें
तेरी मुस्कान खिली|
*
तुम जब भी हँसती हो
खिलते फूलों सी
अँखियों में बसती हो।
15
कुछ खबर है राहत की
ख़्वाबों में मिलकर
बातें कीं चाहत की ।
*
जनमों का नाता है
प्रीत निभाना तो
हमको
भी आता है
22 टिप्पणियां:
बडी गजब की जुगलबंदी!!शशिपाधा तथा ज्योत्स्ना शर्मा जी को बधाई.मनखुश होगया इसे पढ़कर.
ज़बरदस्त जुगल बंदी। दोनों को बधाई!!!
Bahut sudar shabdon se sajee jugalbandi Hai .aap dono ko badhaai.
बहुत ज़ोरदार जुगलबंदी......ज्योत्स्ना जी, शशि जी बहुत बधाई!!
बहुत सुन्दर माहिया दीदी !
सच में आपके माहिया का साथ पाकर मेरे माहिया भी धन्य हो गए !
आँखों से कह देना ,बाबुल जो दानी है और यह कैसे जान लिया ,पीछे कब मुड़ना है ,सपने तो ..क्या कहिए सभी एक से बढ़कर एक ....बहुत आभार ..बधाइयाँ ..नमन आपको !
संपादक द्वय के प्रति भी हृदय से धन्यवाद ..नमन !
आप सब रचनाकारों का धन्यवाद और धन्यवाद सम्पादक द्वय | ज्योत्स्ना जी के सुन्दर माहिया पढ़कर मुझे उत्तर में इन्हें लिखने का बहुत आनन्द आया |
शशि पाधा
mn ki bgiyaa utkrisht juglbndi se mahak gayi .
ज्योत्स्ना जी, शशि जी बहुत बधाई!!
सुंदर माहिया सारे !
sundar prerak comments ke liye aap sabhi aadaraneeya didiyon sudha om dhingara di, savita di , krishna di evam shashi padha di , Asha Pandey ji , Manju Gupta ji evam aadaraneey Kashmiri lal ji ke prati hruday se aabhari hoon !
saadar
jyotsna sharma
achhi lagi eak or jugalbandi hardik badhai...
शानदार रचना !
ज्योत्स्नाजी ,शशि पाधाजी उत्कृष्ट युगलबंदी बहुत सुंदर माहिया। एक से बढ़ कर एक। बधाई।
वाह! वाह! बहुत ख़ूब ! जितनी तारीफ़ की जाए कम है !
बहुत-बहुत बधाई शशि दीदी एवं प्रिय सखी ज्योत्स्ना जी !
~सादर
अनिता ललित
dil se shukriyaa Anita Lalit ji , Sudershan di,Angira Parsad Maurya ji evam Dr. Bhawna ji bahut aabhaar !
शानदार जुगलबन्दी !! बहुत प्यारे शब्द एवम् भाव !
शशि जी एवम् ज्योत्स्ना जी को दिल से बधाई !!
सुन्दर जुगलबन्दी।चली दूर तक।हर एक माहिया के उत्तर में उतना हि बढ़िया माहिया ।जैसे होली में रंग बरसता है ऐसे माहिया की जुगलबन्दी में माहिया बरसे।रचना कारों को वधाई का हक बनता है
मानी हार नही /तेरा साथ मिला/ जीवन अब भार नही ।बहुत बढ़िया । अच्छी लगी जुगल बन्दी ।वधाई माहिया रचने वालों को। कमला घटाऔरा
बेहतरीन जुगलबंदी ... माहिया रचना वाकई बहुत मेहनत का काम है | मात्राओं के हिसाब के साथ भावों का संगम आसान नहीं | सलाम आपको |
पीछे कब मुड़ना है
अब परचम अपना
ऊँचे ही उड़ना है ।
*
जो बढ़ने की सोचे
अम्बर उसका है
जो उड़ने की सोचे।
आप सब के स्नेह का पुन: आभार |
शशि पाधा
kamal hai ekdam naya prayog bahut bahut badhai matra ke sath bhav ati utamm
bahut bahut badhai
rachana
बहुत शानदार जुगलबंदी...आनंद आ गया...| आप दोनों को हार्दिक बधाई...|
bahut aabhaar ..rachana ji ,priyanka ji :)
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