सुदर्शन रत्नाकर
1
सागर की धारा है
चप्पू टूट गया
मिलता न किनारा है ।
2
रिश्तों की बात करो
साथ निभाना है
तो नीयत साफ़ करो
3
तेज़ हवा का झोंका
भीतर आने दो
किसने रस्ता रोका ।
4
काले मेघा छाए
मन तो तरस रहा
प्रीतम घर ना आए।
-0-
9 टिप्पणियां:
सागर की धारा है
चप्पू टूट गया
मिलता न किनारा है ।
बहुत बढ़िया...| मनभावन माहिया के लिए हार्दिक बधाई...|
रिश्तों की बात करो
साथ निभाना है
तो नीयत साफ़ करो
rishton ki schchaai ko darshtaa sbhi sundr maahiyaa
रिश्तों की बात करो .....मन से निकली बात है और इसमें सच्चाई भी है |बधाई सुदर्शन जी |
रिश्तों की बात करो
साथ निभाना है
तो नीयत साफ़ करो
बहुत सही कहा... काश! लोग इस बात को समझ पाते... बधाई आपको।
सागर की धारा है
चप्पू टूट गया
मिलता न किनारा है ।
javab nahi bahut bahut badhai..
सुंदर माहिया हेतु हार्दिक बधाई सुदर्शन दीदी जी!
रिश्तों की बात करो
साथ निभाना है
तो नीयत साफ़ करो--बहुत सही बात कही !!!
सागर की धारा है
चप्पू टूट गया
मिलता न किनारा है--बहुत बढ़िया !!!
~सादर
अनिता ललित
सागर की धारा है
चप्पू टूट गया
मिलता न किनारा है ।
बहुत अच्छे माहिया। शुभकामनाएँ
sabhi maahiyaa sundar ....
saagar kii dhaaraa ...rishton kii bat ...anupam ..haardik badhaaii !
मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आप सब का हार्दिक धन्यवाद। आभार।
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