1-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
छूकर गया
अभी मेरे मन को
है आस-पास
निर्मल झकोरे सा
तेरा रिश्ता ये ख़ास ।
2
बरसे सुधा
चाँदनी की चाँदनी
नभ बिछाए
महकी रातरानी
यूँ धरा मुस्कुराए।
3
तेरा मिलना
ज्यूँ दमकें सितारे
मन की धरा
कलियाँ खिल उठीं
आज अम्बर भरा ।
-0-
चोका
2-अनिता मन्डा
यह दुनिया
अँधेरी-सी सुरंग
फिर भी देखो
इसमें कई रंग
जीव पखेरू
फड़फड़ाए पाँखें
भटक रहा
करके बंद आँखें
दुःख-काँकर
समय की गुलेल
मार रुलाए
झेल पाया है कौन?
घेरें ताउम्र
रेत के बवंडर
किश्ती डुबोने
लहरें हैं तत्पर
लगा वो पार
जिसने नहीं मानी
डर से हार
दुःख-सुख से सजी
जग- बगिया
सुख फूलों से चाहें
सब भरना
अपनी ही डलिया
दुःख के बिना
सुख का अहसास
होता न खास
धूप-छाँव से भरा
जीवन सुनहरा।
-0-
11 टिप्पणियां:
खूबसूरत ताँका और बेहद सुन्दर चोका....ज्योत्स्ना जी, अनिता मण्डा जी बधाई!
ज्योत्स्ना जी सुंदर ताँका के लिए हार्दिक बधाई।
कृष्णा जी आभार।
sunder tanka aur choka likhe hain dono bahnon ne badhai.
pushpa mehra
सुन्दर भाव भरा चोका अनिता जी ..हार्दिक बधाई !
मुझे भी स्थान देने के लिए संपादक द्वय के प्रति और प्रेरक कमेंट्स के लिए आदरणीया कृष्णा दीदी , पुष्पा दीदी एवं प्रिय अनिता जी को बहुत आभार !
सुंदर ताँका हेतु बहुत-बहुत बधाई सखी ज्योत्स्ना जी !
'तेरा रिश्ता ये ख़ास' बहुत प्यारा लगा !
बहुत भावपूर्ण एवं प्रेरक चोका अनीता जी!
बहुत-बहुत बधाई !
~सादर
अनिता ललित
ज्योत्सना जी बहुत खूबसूरत तांका रचे है| अनीता जी आपका चोका भी अति भाव पूर्ण है आप दोनों को हार्दिक बधाई |
बहुत भावपूर्ण एवं प्रेरक
Bhavpurn rachna aapko badhai...
jyotsna ji evam anita ji ,aap donon ki rachnayen bahut sundar v bhaavpurn hai...badhai dil se .
बहुत सुन्दर तांका और भावपूर्ण चोका के लिए ज्योत्स्ना जी और अनीता जी को हार्दिक बधाई...|
हृदय से आभार आप सभी का !
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
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