कमल कपूर
1
सुरभि सारी
हवा पंखों से थाम
रचे जो इत्र
सतत अभिराम
गीत उसका नाम ।
2
नभ का नीर
धो रहा सावन को
हरता पीर
ये हरित आलोक
करे हिया अशोक ।
3
जन्मे जल में
पले दलदल में
पुष्प कमल
रक्तिम रंग रंगे
जल भीत पे टँगे
।
4
कली खोलेगी
घूँघट धीरे -धीरे
फिर डोलेगी
हवा के संग-संग
रँग ऋतु के रंग ।
5
थाम के हाथ
चली आपके साथ
आज शान से
कल है बारी मेरी
रखें दोनों विश्वास ।
6
है भोर मीठी
हर देश शहर
और गाँव की
रोशनी में नहाई
फूलों की छाँव -सी।
7
मेघो में कवि
खोजे प्रेम की छवि
सूक्ष्म दृष्टि से
इसे सौंदर्यबोध
हैं कहते सुबोध।
8
सूर्य सी दुआ
हवा के काँधे चढ़
पहुँचे वहाँ
होता अँधेरा जहाँ
भरने को रोशनी ।
9
रवि की छाया
जल के दर्पण में
रचती माया
घुलते स्वर्ण कण
पानी में प्रति क्षण ।
-0-
15 टिप्पणियां:
सभी ताँका सुंदर ! विशेषकर--
मेघो में कवि
खोजे प्रेम की छवि
सूक्ष्म दृष्टि से
इसे सौंदर्यबोध
हैं कहते सुबोध।
एवं
सूर्य सी दुआ
हवा के काँधे चढ़
पहुँचे वहाँ
होता अँधेरा जहाँ
भरने को रोशनी ।--बहुत अच्छे लगे!
हार्दिक बधाई कमल कपूर जी!!!
~सादर
अनिता ललित
सूर्य सी दुआ
हवा के काँधे चढ़
पहुँचे वहाँ
होता अँधेरा जहाँ
भरने को रोशनी ।
सभी बहुत अच्छे लगे.
बहुत बधाई कमल जी.
सूर्य सी दुआ........बहुत सुंदर!
सभी ताँका अच्छे लगे।
हार्दिक बधाई कमल कपूर जी!!!
सादर,
भावना
कमलजी. सभी ताँका बहुत सुंदर हैं हार्दिक बधाई।
sabhii taankaa bahut sundar ....
kalii kholegii ... aur ..soory sii duaa bahut hii achchhe lage !
hardik badhaii Kamal Kapoor ji saadar naman !!
कमल जी सभी ताँका एक से बढ़ कर एक।
9
रवि की छाया
जल के दर्पण में
रचती माया
घुलते स्वर्ण कण
पानी में प्रति क्षण ।
kamaal ke taankaa sbhi
badhaai
कमल जी सभी ताँका की अति उत्तम रचना है विशेषकर सूर्य सी दुआ.....
बधाई हो
सभी ताँका बहुत सुंदर हैं हार्दिक बधाई।
सुदंर भावभीने ताँका के लिए हार्दिक बधाई !
सभी तांका बहुत सुन्दर हैं विशेषकर:
सूर्य सी दुआ
हवा के काँधे चढ़
पहुँचे वहाँ
होता अँधेरा जहाँ
भरने को रोशनी ।--बहुत बढ़िया!
कमल कपूर जी बहुत बधाई!
सभी तांका बहुत अच्छे लगे।मेघों मे कविवाला बहुत सुन्दर लगा बादलें की आकृति के साथ।वधाई कमल कपूर जी रवि की छाया वाला तो क्या कहने ।सभी एक से एक सुन्दर हैं ।
surya si dua,hava ke kandhe chadh , pahunche vahan,hota andhera jahan ,bharane ko roshni. bahut sunder tanka. badhai.
pushpa mehra
है भोर मीठी
हर देश शहर
और गाँव की
रोशनी में नहाई
फूलों की छाँव -सी।
bahut achha likha aapne kahte hain na sury ki kirne saman prkash deti hain gareeb ameer chhote bade ka bhed nahi karti sach hai aapko hardik badhai...
बहुत अच्छे तांका हैं सभी...मेरी हार्दिक बधाई...|
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