सुशीला श्योराण
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इस सावन
झरी अँखियाँ
तेरी याद में अम्मा
रोई रतियाँ
टूट गया री अम्मा
यादों का बाँध
बह रही हैं देख
भूली सुधियाँ
भीगे- से सावन में
भीगी माटी के
भीगे-भीगे गीतों में
बढ़ी पींगों में
सरसता वो प्यार
सौंधी ख़ुश्बू ने
तोड़ दिए हैं आज
मन के बाँध
बुला रहा है गाँव
वट की छाँव
हरियल डालियाँ
झूले-सखियाँ
मेंहदी-चूड़ी- संग
रोली बिंदिया
थाल भर घेवर
उठाए हूक
कोयलिया की कूक
छूट गए हैं
तेरे संग ही अम्मा
तीज-त्योहार
वो मान-मनुहार
उजड़ गया
भरा घर-आँगन
तुलसी चौरा
वीरान-सा कँगूरा
तुझे बुलाएँ
बिलखें अकुलाएँ
ये दिन-रैन
जड़ हैं जानें कैसे
नहीं लौटता
जाके कोई वहाँ से
पगले नैना
नहीं छोड़ते आस
तुझे ही ढूँढ़ें
ढूँढे नेह का पाश
तू दिख जाए काश !
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16 टिप्पणियां:
सुशीला जी माँ और घर आँगन की याद दिलाता चोका |बहुत खूब लिखा है |बधाई |
हृदय से आभार सविता जी ।
तीज की बधाई और शुभकामनाएँ !
हृदय से आभार सविता जी ।
तीज की बधाई और शुभकामनाएँ !
हृदय से आभार सविता जी ।
तीज की बधाई और शुभकामनाएँ !
हृदय से आभार सविता जी ।
तीज की बधाई और शुभकामनाएँ !
मन को छूता आँखों को भिगोता बहुत सुन्दर चोका....तीज की बहुत बधाई सुशीला जी!
सुशीलाजी माँ की याद दिलाता बहुत सुंदर चोका बधाई।
बरसीं जो बुँदियाँ
झरी अँखियाँ
तेरी याद में अम्मा
रोई रतियाँ
Sachmuch aankhen bhar ye choka padhkar mano dil udelkar rakh diya meri hardik badhai..
मन को भिगो गया चोका सुशीला जी …
इस सुंदर सृजन के लिए आपको बधाई!
~सादर
अनिता ललित
बेहद खूबसूरत चोका। शुभकामनाये
भीग गया मन सुशीला जी | बधाई
शशि पाधा
saavn ki tij kaa sajiv chokaa chitarn . in prvon par piahr yaad to aataa hae .
badhaai
सावन का सुंदर चित्रन
सुशीला जी दिल को छूने वाला चोका लिख कर माँ से दूर बैठी बेटियों की अखियाँ झरनी लगा दी ।मायके का नेह बहुत अनमोल होता है तभी तो सुधियों में बसा रहता है ।बहुत बहुत वधाई ।
ek-ek pankti mn ko chhoo gaii ....maa aur maayake ki kise yaad n aaii hogii ..
haardik badhaaii sushila ji
दिल छू गयी ये मार्मिक पंक्तियाँ...हार्दिक बधाई...|
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