सोमवार, 23 जुलाई 2012

मनोहर लतिका


डॉ0 मिथिलेश दीक्षित
1.
बूँदबूँद से
झरकर ममता
भर देती गागर,
उर सरिता
ऐसी गति पाकर
आज हुई सागर!
2
बिना बुलाये
दलबल लेकर
घूम रहे बादल,
दिशावधू के
नयन हँस रहे
लगालगा काजल।
3
डाली लिपट
मनोहर लतिका
झूमझूम मुस्काए,
माँ की ममता
तबतब मुझको
याद बहुत आए।
4
चन्द लोगों ने
जिनकी आबरू को
है तारतार किया,
सच बताऊँ,
मैंने उन फूलों से
हमेशा प्यार किया! 

9 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

यूँ तो सभी सेदोका सुन्दर अर्थपूर्ण।
यह अधिक मन भाया।
कृष्णा वर्मा

डाली लिपट
मनोहर लतिका
झूम–झूम मुस्काए,
माँ की ममता
तब–तब मुझको
याद बहुत आए।

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

सभी सेदोका बहुत अच्छे हैं, खास तौर से यह मन को कुछ ज्यादा ही भा गया...।
डाली लिपट
मनोहर लतिका
झूम–झूम मुस्काए,
माँ की ममता
तब–तब मुझको
याद बहुत आए।
मेरी बधाई...।

प्रियंका

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

बूँद–बूँद से
झरकर ममता
भर देती गागर,
उर – सरिता
ऐसी गति पाकर
आज हुई सागर!

Matritv ki anupam abhivykati...

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

डाली लिपट
मनोहर लतिका
झूम–झूम मुस्काए,
माँ की ममता
तब–तब मुझको
याद बहुत आए।

बहुत मनोहारी सेदोका...
सभी सुंदर सेदोका के लिए बधाई !!
सादर

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सभी रचनाएँ सुंदर

Tuhina Ranjan ने कहा…

बिना बुलाये
दल–बल लेकर
घूम रहे बादल,
दिशावधू के
नयन हँस रहे
लगा–लगा काजल।

मनोहर लतिका
झूम–झूम मुस्काए,
माँ की ममता
तब–तब मुझको
याद बहुत आए।

बूँद–बूँद से
झरकर ममता
भर देती गागर,
उर – सरिता
ऐसी गति पाकर
आज हुई सागर!bahut sundar..

Rajesh Kumari ने कहा…

आपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल २४/७/१२ मंगल वार को चर्चा मंच पर चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आप सादर आमंत्रित हैं

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

सभी सेदोका मनभावन, ये बहुत ख़ास लगा...

ढूँढ़ रहा है
बचपन मुझको,
मैं भी ढूँढूँ उसको,
छूट गये हैं
सपन मनोहर
याद करूँ किसको!

शुभकामनाएँ.

निर्मला कपिला ने कहा…

डाली लिपट
मनोहर लतिका
झूम–झूम मुस्काए,
माँ की ममता
तब–तब मुझको
याद बहुत आए।
बहुत सुन्दर।