सोमवार, 16 जुलाई 2012

नभ तकती रही


रचना श्रीवास्तव
1
बंद कर दो
घर से निकलना
या परदे में रखो
फूलों की खुश्बू
हवाओं की गति को
 बाँध सका है कोई  ?
2
न खोना होश
पाक सोच ले कर
आगे आगे चलो तो
बदलेगा  ये
समाज सारा अभी
नीयत  तो बदलो ।
3
सजती है स्त्री
पोस्टर ,कविताओं
चित्र व प्रचार में
घर आँगन
जहाँ पूजी जानी थी
जला दी जाती वहाँ ।
4
चाँद ने ओढ़ा
बादल का घूँघट
रात मध्यम हुई
सूर्य ने आ के
उठाया घूँघट तो
खूब  उजाला हुआ ।
5
तारों की नोक
बहुत देर तक
टिका हुआ था चाँद
गुदगुदाया
हवा ने ,तो बादल
की गोद गिरा चाँद  ।
6
जख्मी घुँघरू
रात की पायल का
बजता ही रहा था
सुना था यह- ,
जमी थी  महफ़िल
बादल के घर में ।
7
सोया था चाँद
बादलों की गोद में
देखता था  सपने
दुष्ट बादल
उसे रौंता गया
चाँद में दाग़ बना
8
इन तारों में
होगा छुपा उसका
नन्हा तारा भी कहीं
सोचके  यही
 
नभ  तकती रही
सारी रात एक माँ  
 -0-

14 टिप्‍पणियां:

Dr.Anita Kapoor ने कहा…

रचना जी सभी सदोका बहुत भावपूर्ण है.....बधाई

निर्मला कपिला ने कहा…

सोया था चाँद
बादलों की गोद में
देखता था सपने
दुष्ट बादल
उसे रौंदता गया
चाँद में दाग़ बना ।
बहुत खूबसूरत। रचना जी को बधाइ\

ज्योत्स्ना शर्मा ने कहा…

सुंदर ,सामयिक भावों को बहुत प्रभावी ढंग से अभिव्यक्त किया है आपने ....सभी सेदोका एक से बढ़कर एक ...बहुत बहुत बधाई ..

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

तारों की नोक
बहुत देर तक
टिका हुआ था चाँद
गुदगुदाया
हवा ने ,तो बादल
की गोद गिरा चाँद ।

Bahut sundar prastuti..

बेनामी ने कहा…

"बंद कर दो
घर से निकलना
या परदे में रखो
फूलों की खुश्बू
हवाओं की गति को
बाँध सका है कोई ?" वाह ! बहुत बधाई रचना जी ...सुंदर सेदोका हैं !
डॉ सरस्वती माथुर

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

सजती है स्त्री
पोस्टर ,कविताओं
चित्र व प्रचार में
घर आँगन
जहाँ पूजी जानी थी
जला दी जाती वहाँ ।

सटीक भाव लिए .... सभी सेदोका बढ़िया लगे

बेनामी ने कहा…

यूँ तो सभी सेदोका बहुत सुंदर हैं... लेकिन १, ३, और ५ तो बस अद्भुत ही लगे... गहन अर्थ लिए हुये, अर्थपूर्ण...
सादर
मंजु

बेनामी ने कहा…

सजती है स्त्री
पोस्टर ,कविताओं
चित्र व प्रचार में
घर आँगन
जहाँ पूजी जानी थी
जला दी जाती वहाँ

Rachna, kam shabdon me katu satya aur uski chubhan ... dono ko bahut hi prabhavshali dhang se vyakt kiya hai apne... apki sashakt lekhni ko pranam...

sadar
manju

sushila ने कहा…

सभी सेदोका एक से बढ़ कर एक ! यह तो आत्मा को चीर गया -

"सजती है स्त्री
पोस्टर ,कविताओं
चित्र व प्रचार में
घर आँगन
जहाँ पूजी जानी थी
जला दी जाती वहाँ ।"

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

"बंद कर दो
घर से निकलना
या परदे में रखो
फूलों की खुश्बू
हवाओं की गति को
बाँध सका है कोई ?"

सच में कोई नहीं बाँध सका हे...
सभी सेदोका अपनी बात कहने में पूरी तरह सफल हैं|
बहुत बहुत बधाई !!

Rachana ने कहा…

aap logon ke nirmal shbd man bhigojaye hain aap sabhi ka dhnyavad
rachana

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

इन तारों में
होगा छुपा उसका
नन्हा तारा भी कहीं
सोचके यही
नभ तकती रही
सारी रात एक माँ ।
सभी सेदोका बहुत खूबसूरत हैं पर यह वाला तो जैसे मन को बेध गया...अदभुत...बहुत बधाई...।

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

सभी सेदोका बहुत अर्थपूर्ण. इस एक सेदोका में एक माँ के दर्द को बहुत मार्मिक शब्द दिए हैं...

इन तारों में
होगा छुपा उसका
नन्हा तारा भी कहीं
सोचके यही
नभ तकती रही
सारी रात एक माँ ।

शुभकामनाएँ.

amita kaundal ने कहा…

सभी सेदोका बहुत सुंदर है एक से बढ़कर एक सुंदर रचना के लिए धन्यवाद और बधाई
सादर,
अमिता कौंडल