डॉ हरदीप कौर सन्धु
1
टिमटिमाते
तारों -भरा अम्बर
जोड़कर खाट को
छत पे सोएँ
ठण्डी- ठण्डी हवाएँ
ज्यों लोरियाँ सुनाएँ
2
गाँव की गली
हाँक दे बनजारा
रंगीन चूड़ियाँ लो !
पहने गोरी
नाज़ुक कलाई में
छन -छन छनकी ।
३.
मृग- नयन
धारीदार काजल
ज्यों आँज मटकाए
खिलता जाए
चाँद- सा ये मुखड़ा
ओढ़े हुए चाँदनी
४.
ठण्डी फुहारें
सुरमई बादल
हवा- हाथ संदेसा
वर्षा का आया
पुलकित ये धरा
अम्बर भी मुस्काया ।
-0-
सेदोका
1-डॉ ज्योत्स्ना शर्मा
1
रे कवि मन !
बस अब वीरों का
कर अभिनंदन
भाये ना मुझे
बिंदिया या कजरा
कंगन का वंदन ।
2
ले केसरिया
गूँज उठे धरती
केसरी- सा गर्जन
जागें ,जो सोए
शावक सिंहनी के
डरा विद्रोही मन ।
3
धवल कान्ति
बने मन निर्मल
सौम्य शान्त उज्ज्वल
तिरंगा मेरा
फहराये जग में
बढा़ए सुख शान्ति ।
4
हरित हरे
पीडा़एँ जगती की
तपती धरती की
सुख समृद्धि
बिखरे चहुँ ओर
होए निशि से भोर ।
5
क्षमा सहेजें
अनाचार गद्दार
कभी नहीं स्वीकार
उग्र तेज से
रहे दीपित माथा
लिखें गौरव गाथा ।
-0-
ताँका
1 - तुहिना रंजन
1
भाषाएँ कई
संस्कृति में भिन्नता
खान औ' पान
अलग होकर भी
हम हैं हिन्दुस्तानी ।
-0-
2-रेनू चन्द्र
1
1
भारत माता
जयकार तुम्हारी
तुम्हें ना कोई
दुश्मन छूने पाए
ना कोई विपदा हो। 2
जयकार तुम्हारी
तुम्हें ना कोई
दुश्मन छूने पाए
ना कोई विपदा हो। 2
देश में बहे
शीतल शुद्ध हवा
लहलहाए
ये हरे -भरे खेत
लाएँ सुख-समृद्धि। 3
आओ झंडे के
नीचे कसम खाएँ
भारतवासी
मिल कर जलायें
सदा ज्ञान की ज्योति।
-0-
शीतल शुद्ध हवा
लहलहाए
ये हरे -भरे खेत
लाएँ सुख-समृद्धि। 3
आओ झंडे के
नीचे कसम खाएँ
भारतवासी
मिल कर जलायें
सदा ज्ञान की ज्योति।
-0-
9 टिप्पणियां:
आंचलिक शब्दावली लिए बहुत सुंदर सेदोका! मनभावन बिंब सेदिका को बहुत खूबस्ररत बना रहे हैं।
डॉ हरदीप कौर सन्धु जी को बहुत-बहुत बधाई!
बहुत सुंदर ....
बहुत प्यारी रचना...
मृग- नयन
धारीदार काजल
ज्यों आँज मटकाए
खिलता जाए
चाँद- सा ये मुखड़ा
ओढ़े हुए चाँदनी
हरदीप जी को बधाई.
बहुत प्यारी रचना...
मृग- नयन
धारीदार काजल
ज्यों आँज मटकाए
खिलता जाए
चाँद- सा ये मुखड़ा
ओढ़े हुए चाँदनी
हरदीप जी को बधाई.
ठण्डी फुहारें
सुरमई बादल
हवा- हाथ संदेसा
वर्षा का आया
पुलकित ये धरा
अम्बर भी मुस्काया ।
Bahut bhavpurn ! bahut2 badhai..
हरदीप जी को बधाई. ठण्डी फुहारें
सुरमई बादल
हवा- हाथ संदेसा
वर्षा का आया
पुलकित ये धरा
अम्बर भी मुस्काया ............ बहुत सुंदर सेदिका !
Dr Saraswati Mathur
टिमटिमाते
तारों -भरा अम्बर
जोड़कर खाट को
छत पे सोएँ
ठण्डी- ठण्डी हवाएँ
ज्यों लोरियाँ सुनाएँ
kya khoob thandi hava ka lori sunana aanand aaya
badhai
rachana
बहुत खूबस्ररत रचना...हरदीप जी को बहुत-बहुत बधाई...|
sundar rachnaye .. :)
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