शुक्रवार, 27 जुलाई 2012

पावस बहुरंगी



डॉ सुधा गुप्ता



पहली वर्षा
बूँदों की चित्रकारी
धूलि के रंग
छिप कर बैठी है
नीली चिड़िया
फूलों के झुरमुट 
ताल पै फैले
घने जल-कुंतल
तैरती मीन
सखियाँ लिये साथ
घास चुप है
फुदक के हिलाता
हरित टिड्डा
नन्हीं बीर-बहूटी
शनील बूँद 
बारिश संग गिरी
आकाश-छत
छेदों भरी छतरी
टपक रही 
फाख़्ता टेरती घूँ-घूँ
बोल रही है
निर्जन दोपहरी

सावन-धूप 
दोपहरिया-फूल
चटख़ लाल
पूरब की खिड़की
उषा पहने
गोटा लगी ओढ़नी
घिरीं घटाएँ
छत पर मोरनी
टहल रही
भादों जो आया
जल-बालिका खेल
ने जी डराया
भर गए हैं ताल
निखरा रूप
पुरइन के पात
शोख़ अनूप
शैशव की क्रीड़ाएँ
फिर शुरू हैं
तैरीं कागज़-कश्ती
वर्षा विनोदीः
कहीं पुए-पकौड़ी
कहीं है भूख
न छदाम न कौड़ी
पावस बहुरंगी
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10 टिप्‍पणियां:

सुरेश चौधरी प्रस्तुति ने कहा…

अद्भुत, सोच भी नही सकता की चोका में इतना सुन्दर विवरण हो सकता है

बेनामी ने कहा…

Dr Saraswati says...
सुधाजी , सच आपके शब्द संयोजन हमारे लिए एक मील पत्थर की तरह हैं l आपको शत- शत नमन ...बधाई और शुभकामनाएं! कम्बोज भाई और हरदीप जी आपको भी बधाई और बहुत- बहुत धन्यवाद!

डॉ सरस्वती माथुर

बेनामी ने कहा…

बोलती निर्जन दोपहरी और छत पर टहलती हुयी मोरनी ने तो सचमुच बिना छदाम कौड़ी पावस की छटा को मनोहारी बना दिया ... अत्यन्त सुंदर चित्रण....पढ़ते पढ़ते मानो आँखों के सामने बहुरंगी पावस का चित्र ही सजीव हो उठा....
सादर
मंजु

बेनामी ने कहा…

अति सुन्दर वर्णन....बधाई।
कृष्णा वर्मा

निर्मला कपिला ने कहा…

बहुत ही सुन्दर वर्णन। भाई साहिब हक्मे भी चोका के बारे मे कुछ बतायें हाइकु भी आप से ही सीखा है। आप इन विधाओं के लिये सराहनीय प्रयास कर रहे हैं। बधाई।

ज्योत्स्ना शर्मा ने कहा…

वर्षा के एक एक दृश्य की बहुत सजीव ,मोहक और मंत्र मुग्ध करती प्रस्तुति है ....सादर नमन दीदी आपको ....बहुत बहुत बधाई ...हार्दिक धन्यवाद ।

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

सुधा जी की लेखनी को नमन. बहुत उम्दा सृजन, बधाई.

sushila ने कहा…

अद्‍भुत रचनाएँ ! गज़ब का सौंदर्य और प्रवाह लिए।
नमन डॉ सुधा गुप्ता को।

प्रियंका गुप्ता ने कहा…

बहुत सुन्दर...सावन का बड़ा मनभावन चित्रण है...बधाई व सुधा जी की इस प्रस्तुति के लिए आप को आभार...।

विभूति" ने कहा…

भावो का सुन्दर समायोजन......