गुरुवार, 26 दिसंबर 2013

अतीत के पन्ने

डॉ जेन्नी शबनम

याद दिलाए
अतीत के जो पन्ने 
फड़फड़ाए
खट्टी-मीठी-सी यादें
पन्नों से झरे 
इधर- उधर को
बिखर गए
टुकड़ों-टुकड़ों में,
हर मौसम
एक-एक टुकड़ा
यादें जोड़ता
मन को टटोलता
याद दिलाता
गुज़रा हुआ पल
क़िस्सा बताता,
दो छोर का जुड़ाव
नासमझी से
समझ की परिधि
होश उड़ाए
अतीत को सँजोए,
बचपन का
मासूम वक़्त प्यारा
सबसे न्यारा
सबका है दुलारा,
जुनूनी युवा
ज़रा मस्तमौला-सा
आँखों में भावी
बिन्दास है बहुत,
प्रौढ़ मौसम
ओस में है जलता
झील गहरा
ज़रा-ज़रा सा डर
जोशो-जुनून
चेतावनी-सा देता,
वृद्ध जीवन
कर देता व्याकुल
हरता चैन
मन होता बेचैन
जीने की चाह
कभी मरती नहीं
अशक्त काया
मगर मोह -माया
अवलोकन
गुज़रे अतीत की
कोई जुगत
जवानी को लौटाए
बैरंग लौटे
उफ़्फ़ मुआ बुढ़ापा
अधूरे ख़्वाब
सब हो जाए पूर्ण
कुछ न हो अपूर्ण !
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गुरुवार, 19 दिसंबर 2013

ताज़ा खबर

डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा :सेदोका
1
मुख पे डाले
तुहिन आवरण
धरा ,कैसी लजाए !
किरण-कर
दिनकर छूकर
यूँ घूँघट हटाए !
2
सखी देख तो
शुभ्र ,सुहानी धूप
रूप चंद्रिका -सा ,ले
यहाँ आ गई
आँगन मेरे बैठी
लगती है अनूप ।
3
ताज़ा खबर
सूरज पे बरसा
कुहर का कहर
हवा गई
ले ,जल की बौछार
कुहर गया हार !

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कृष्णा वर्मा
1
आसमान ने
भरीं जो सर्द आहें
जमा लोक-जहान
काँपा ह्रदय
अवनि पर्वत का,
नदी- ताल निष्प्राण
2
लटका पाला
सिकुड़ गए दिन
सर्दी की आततायी
धूप कुन्दनी
बेबस हुई दीखे
ज्यों कृश परछाई
3
सूनी डाँड पे
भाग रहे हैं पाँव
क्षितिज पार बसे
रवि के गाँव
घनी धुं में खड़ी
जमें रश्मि के पाँव।
4
कानन- झीलें
अँधियारे में खोईं
कोहरे में हवाएँ
पगडंडी भी
डर छिपी धुँध में
कैसे घर को जाएँ?
5
शांतमना- सी
पगडंडी है लेटी
चुप­­- सी हवा खड़ी
जाड़े ने ताड़ा
चुप्पी छाई हाट में
शांत है हड़बड़ी।
6
ठगा भोर ने
सूरज लुका कहाँ
ओढ़ी धुँध- रजाई
म्पि धरा
बावरे गगन ने
तुषार बरसाया
7
निर्बाध फिरें
बर्फीली हवाएँ ये
सीटियाँ बजातीं-सी
झूमकरके
अपनी आज़ादी का
देखो जश्न मनातीं।
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मंगलवार, 17 दिसंबर 2013

धूप ,सूरज हवा और कोहरा


डॉ सुधा गुप्ता
1-धूप
1
सुबह  बस
ज़रा-सा झाँक जाती
दोपहर आ
छत के पीढ़े बैठ,
गायब होती धूप ।
2
जाड़े की धूप
पुरानी सहेली-सी
गले मिलती
नेह-भरी ऊष्मा  दे
अँकवार भरती 
3
झलक दिखा
रूपजाल में फँसा
नेह बो गई
मायाविनी थी धूप
छूमन्तर हो गई ।
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2-हवाएँ
1
भागती आई
तीखी ठण्डी हवाएँ
सूचना लाईं
शीत-सेना लेकर
पौष ने की चढ़ाई ।
-0-
3-सूरज
1
मेरे घर में
मनमौजी सूरज
देर से आता
झाँक, नमस्ते कर
तुरत भाग जाता ।
2
भोर होते ही
मचा है हड़कम्प
चुरा सूरज-
चोर हुआ फ़रार
छोड़ा नहीं सुराग।
3
सूरज-कृपा
कुँए- से आँगन में
धूप का धब्बा
बला की शोखी लिये
उतरा, उड़ गया।
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4-कोहरा
1
शीत –ॠतु का
पहला कोहरा लो
आ ही धमका
अन्धी हुई धरती
राह बाट है खोई ।

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