डॉ जेन्नी शबनम
1
प्रेम -चाशनी
शब्द को पकाकर
सबको बाँटो,
सब छूट जाएगा
ये याद दिलाएगा !
शब्द को पकाकर
सबको बाँटो,
सब छूट जाएगा
ये याद दिलाएगा !
2
शब्दों ने तोड़ी
संबंधों की मर्यादा
रिश्ता भी टूटा,
यत्न से लगी गाँठ
मन न जुड़ पाया !
3
शब्दों ने तोड़ी
संबंधों की मर्यादा
रिश्ता भी टूटा,
यत्न से लगी गाँठ
मन न जुड़ पाया !
3
तुमसे जाना
शब्दों की वाचालता,
मूक-बधिर
बस एक उपाय
मन यही सुझाय !
4
शब्दों की वाचालता,
मूक-बधिर
बस एक उपाय
मन यही सुझाय !
4
शब्द-जाल ने
बहुत उलझाया
देश की जनता को,
अब नेता को जाना-
बहुत उलझाया
देश की जनता को,
अब नेता को जाना-
कितना भरमाया !
5
5
शब्द-महिमा
ऋषियों ने थी मानी,
दिया सन्देश
ग्रंथों में उपदेश
शब्द नहीं अशेष !
6
ऋषियों ने थी मानी,
दिया सन्देश
ग्रंथों में उपदेश
शब्द नहीं अशेष !
6
सरल शब्द
सहज अभिव्यक्ति
भाव गंभीर,
उत्तेजित भाषण
खरोंच की लकीर !
7
सहज अभिव्यक्ति
भाव गंभीर,
उत्तेजित भाषण
खरोंच की लकीर !
7
प्रेम औ पीर
अपने औ पराये
शब्द के खेल,
मन के द्वार खोलो
शब्द तौलो तो बोलो !
8
अपने औ पराये
शब्द के खेल,
मन के द्वार खोलो
शब्द तौलो तो बोलो !
8
शब्दों के शूल
कर देते छलनी
कोमल मन,
निरर्थक जतन
अपने होते दूर !
9
कर देते छलनी
कोमल मन,
निरर्थक जतन
अपने होते दूर !
9
अपार शब्द
कराहते ही रहे,
कौन समझे
निहित भाषा-भाव
नासमझ इंसान !
10
बिना शब्द के कराहते ही रहे,
कौन समझे
निहित भाषा-भाव
नासमझ इंसान !
10
अभिव्यक्ति कठिन
सबने माना,
मूक सम्प्रेषण है
बिना शब्दों की भाषा !
-0-
8 टिप्पणियां:
शब्दों की महिमा अनन्त...कहीं समस्या सुलझाते...कभी उलझा भी देते
सभी ताँका सार्थक और सारगर्भित हैं...जेननी जी को बहुत बहुत बधाई!
सार्थक ताँका
waah sunder prastuti .....:) sabhi ek se badhkar ek ,1, 9 , 6 bahut acche lage
बहुत सुंदर सारगर्भित तांका हैं बधाई,
सादर,
अमिता कौंडल
प्रेम -चाशनी
शब्द को पकाकर
सबको बाँटो,
सब छूट जाएगा
ये याद दिलाएगा !
Ekdam sach kahaa prem se badhkar duniya men kuch nahi sabse baatkar chalne men jo sukh hai vo kisi men nahi...
शब्दों के शूल
कर देते छलनी
कोमल मन,
निरर्थक जतन
अपने होते दूर !
sahi ek dam sahi shabdon ka hi khel hai sneh shabd jeevan dete hain aur ninda parak shabd .......................
bahut komal bhavon ko likha hai bahut bahut badhai
rachana
स्नेहिल प्रशंसा के लिए आप सभी का ह्रदय से आभार. यूँ ही स्नेह की आकांक्षा रहेगी, धन्यवाद.
शब्दों का सुंदर संयोजन। बधाई।
डॉ. रत्ना वर्मा
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